सार

हर व्यक्ति चाहता है कि उस पर धन की देवी महालक्ष्मी की कृपा बनी रहे। देवी की कृपा बने रहने से ही धन का आगमन होता रहा है और सभी प्रकार की भौतिक सुख-सु‌विधाएं हमें प्राप्त होती हैं।

उज्जैन. धन के बिना व्यक्ति सांसारिक सुखों का आनंद नहीं ले सकता। इसलिए आचार्य चाणक्य ने भौतिक जीवन में धन संचय का महत्व बताया है और बताया है कि किस तरह आप धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न कर सकते हैं… 

घर पर होना चाहिए सुख-शांति
लक्ष्मी जी उस घर में आती हैं जहां शांति का वातावरण होता है। वे ऐसे घर में वास करती हैं जिस घर में परिजनों के बीच परस्पर प्रेमभाव बना रहता है। जिस घर में पति और पत्नी के बीच प्यार रहता है विवाद की स्थिति नहीं होती है वहां पर लक्ष्मी जी को रहना अधिक पसंद आता है। इससे घर में आर्थिक समृद्धि का आगमन होता है।

इस बात का जरूर रखें ध्यान
जो व्यक्ति दूसरों के लिए कटु शब्दों का प्रयोग करता है, उसके घर लक्ष्मी कभी वास नहीं करती है। कटु भाषा का प्रयोग करने वाले व्यक्तियों को व्यापार के मामले में भी लाभ नहीं मिलता है। इसलिए सभी से प्रेम से बातचीत करना चाहिए। व्यक्ति को सौम्य भाषा का प्रयोग करना चाहिए।

कार्यक्षेत्र में सभी से बनाएं अच्छा तालमेल
जो व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में सभी से तालमेल बना कर रहता है। ऐसा व्यक्ति अपने बॉस की नजरों में अच्छा कर्मी होता है। कार्यक्षेत्र में ऐसा भाव रखने वाले व्यक्ति से लक्ष्मी जी प्रसन्न रहती है और उसे आर्शीवाद प्रदान करती हैं।

दान करना भी जरूरी
धनवान व्यक्ति को दान-पुण्य करते रहना चाहिए। इससे मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। वहीं जो धनी व्यक्ति धन दौलत होने के बावजूद समाज कल्याण के कार्यों को नहीं करता है लक्ष्मी जी उनसे शीघ्र ही रूठ जाती हैं और फिर उसे आर्थिक नुकसान उठाने पड़ते हैं।

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