सार
इस बार 24 मार्च, बुधवार को आमलकी एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु व आंवला वृक्ष की पूजा करने का विधान है। इसलिए इसे आमलकी एकादशी कहते हैं।
उज्जैन. आमलकी एकादशी पर आंवला वृक्ष का स्पर्श करने से दुगुना व इसके फल खाने से तिगुना पुण्य प्राप्त होता है। कुछ स्थानों पर इसे रंगभरी ग्यारस भी कहा जाता है। यह एकादशी सभी पापों का नाश करने वाली मानी गई है। इस दिन इस विधि से करें व्रत और पूजा…
इस विधि से करें आमलकी एकादशी का व्रत
- आमलकी एकादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र एक साफ स्थान पर स्थापित करें।
- प्रतिमा या चित्र के सामने हाथ में तिल, कुश (एक प्रकार की घास), सिक्का और जल लेकर संकल्प करें कि मैं भगवान विष्णु की प्रसन्नता एवं मोक्ष की कामना से आमलकी एकादशी का व्रत रखता हूं। मेरा यह व्रत सफलतापूर्वक पूरा हो, इसके लिए श्रीहरि मुझे अपनी शरण में रखें।
- इसके बाद नीचे लिखा मंत्र बोलें-
मम कायिकवाचिकमानसिक सांसर्गिकपातकोपपातकदुरित क्षयपूर्वक श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त फल प्राप्तयै श्री परमेश्वरप्रीति कामनायै आमलकी एकादशी व्रतमहं करिष्ये।
- संकल्प के बाद भगवान विष्णु की षोड्षोपचार (सोलह सामग्री से) पूजा करें। इसके बाद आंवले के वृक्ष की पूजा करें।
- सबसे पहले वृक्ष के चारों ओर की भूमि को साफ करें और उसे गाय के गोबर से पवित्र करें। पेड़ के नीचे एक कलश स्थापित करें।
- इस कलश के ऊपर एक दीपक लजाएं। कलश पर चंदन का लेप करें और वस्त्र पहनाएं। अंत में कलश के ऊपर भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम की सोने की मूर्ति (अपनी इच्छा के अनुसार चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी की) स्थापित करें और विधिवत रूप से परशुरामजी की पूजा करें।
- रात में भागवत कथा व भजन कीर्तन करते हुए प्रभु का स्मरण करें। अगले दिन (25 मार्च, गुरुवार) को सुबह ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दक्षिणा दें।
- साथ ही भगवान परशुराम की मूर्ति सहित कलश ब्राह्मण को भेंट करें। इसके बाद ही स्वयं
भोजन करें।
ये उपाय भी करें
1. आमलकी एकादशी भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा करें। दोनों को वस्त्र, फल आदि चीजें भेंट करें। इसके बाद केसर मिश्रित दूध से दोनों का अभिषेक करें।
2. एकादशी पर सुबह स्नान आदि करने के बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
3. भगवान विष्णु को पीले फल जैसे आम या केले का भोग लगाएं। इससे आपकी मनोकामना पूरी हो सकती है।