सार
हिंदू धर्म में विवाह के दौरान अनेक परंपराओें का निर्वहन किया जाता है। ऐसी ही एक परंपरा है दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाना। इस परंपरा से जुड़ी कई खास बातें हैं। जैसे ही गणेश पूजन के साथ शादी का आरंभ होता है वैसे ही हल्दी लगाने की रस्म भी निभाई जाती है। ये रस्म कई दिनों तक निभाई जाती है।
उज्जैन. हल्दी लगाने को बड़ा ही शुभ माना जाता है। हल्दी लगाने की रस्म शादी में लड़के व लड़की दोनों को निभानी पड़ती है। इस रस्म से जुड़े अलग-अलग तरीके और मान्यताएं हैं। भारतीय परंपरा के अनुसार शादी में हल्दी के शगुन को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह एक आवश्यक परंपरा है इसीलिए इसका निर्वाह किया जाना अनिवार्य है। आगे जानिए विवाह में दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाने के पीछे की धार्मिक और वैज्ञानिक कारणों के बारे में खास बातें…
धार्मिक और ज्योतिषीय कारण
हल्दी गुरु ग्रह से संबंधित हैं और विवाह के लिए गुरु का अनुकूल होना बहुत जरूरी है। विवाह के दौरान जब दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाई जाती है और तो गुरु ग्रह से संबंधित शुभ फल मिलने की संभावना अधिक होती है। साथ ही हल्दी से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए हल्दी का प्रयोग किया जाता है। हल्दी बुरी नजर से रक्षा करती है, इसलिए शादी से पहले दूल्हे और दुल्हन को हल्दी लगाने की परंपरा चली आ रही है।
ये है वैज्ञानिक कारण
प्राकृतिक चीजों से चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाया जा सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार हल्दी में काफी औषधीय गुण होते हैं। हल्दी के प्रयोग से स्किन साफ, सुंदर और चमकदार हो जाती है। हल्दी एक प्राकृतिक एंटी-बायोटिक है इसलिए भी यह दूल्हा -दुल्हन को लगाई जाती है, अगर शरीर में कहीं चोट और जलने का निशान हो तो वह त्वचा पर न रहें और त्वचा खिल उठे। शादी में कहीं तरह के काम होते हैं जिन वजह से सिर दर्द या डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं और हल्दी के प्रयोग से सिर दर्द और डिप्रेशन कम होता है। इसलिए शादी की टेंशन को दूर करने के लिए हल्दी रस्म बेहद जरूरी है।
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