Hal Shashthi 2022: धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसके दो दिन पहले यानी षष्ठी तिथि को इनके बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। इस बार ये तिथि 17 अगस्त को है। इसे हल षष्ठी और हलछठ कहा जाता है।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब भगवान विष्णु श्रीकृष्ण रूप में धरती पर अवतार लेने वाले थे, उस समय शेषनाग ने उसने प्रार्थना की कि “जब आपने श्रीराम रूप में अवतार लिया था, उस समय मैंने आपके छोटे भाई लक्ष्मण के रूप में आपकी सेवा की थी। लेकिन इस बार मैं आपके बड़े भाई के रूप में जन्म लेना चाहता हूं।” भगवान विष्णु ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कि और श्रीकृष्ण के जन्म से 2 दिन पहले शेषनाग ने माता रोहिणी के गर्भ से जन्म लिया। इनका नाम बलराम रखा गया। भगवान बलराम का जन्म हर साल हल षष्ठी के रूप में मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 17 अगस्त, बुधवार को है। आगे जानिए भगवान बलराम से जुड़ी कुछ खास बातें…
इसलिए बलराम ने किया श्रीकृष्ण के साले का वध
श्रीमद्भागवत के अनुसार, जब श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण किया तो रुक्मी (रुक्मिणी का भाई) उन्हें रोकने आया। श्रीकृष्ण ने उसे युद्ध में हरा दिया और बलराम के कहने पर उसे जीवित छोड़ दिया। रुक्मी मन ही मन श्रीकृष्ण से बैर रखता था। श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध का विवाह रुक्मी की पौत्री रोचना से हुआ। उस समारोह में रुक्मी ने बलराम को चौसर खेलने के लिए बुलाया। हारने पर भी रुक्मी बलरामजी की हंसी उड़ाने लगा। तब बलरामजी ने गुस्से में आकर रुक्मी का वध कर दिया।
बलराम ने उखाड़ लिया था हस्तिनापुर
श्रीमद्भागवत के अनुसार, दुर्योधन की पुत्री का नाम लक्ष्मणा था। जिसका श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब ने हरण कर लिया। तब कौरवों ने उसे बंदी बना लिया। तब बलराम कौरवों को समझाने हस्तिनापुर आए, लेकिन कौरवों ने उनका खूब अपमान किया। क्रोधित होकर बलराम ने अपने हल से हस्तिनापुर को उखाड़ दिया और गंगा नदी की ओर खींचने लगे। तब कौरवों ने साम्ब व लक्ष्मणा को छोड़ दिया और बलराम से माफी मांग ली।
बलराम ने क्यों की ब्रह्महत्या?
श्रीमद्भागवत के अनुसार, एक बार महर्षि वेदव्यास के शिष्य सूतजी संतों के बीच बैठकर पुराण का वाचन कर रहे थे। उसी समय बलराम भी वहां पहुंच गए। सभी ऋषियों ने उठकर उनका सम्मान किया, लेकिन सूतजी अपने स्थान पर ही बैठे रहे। क्योंकि कथा सुनाते समय बीच में उठना नियम विरुद्ध था। बलराम ने इसे अपना अपमान समझा और सूतजी का वध कर दिया। ब्राह्मण की हत्या करने से बलराम को ब्रह्महत्या के पाप का भागी बनना पड़ा।
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