सार
महाभारत में पांडवों के जन्म से लेकर मृत्यु तक का वर्णन मिलता है, लेकिन कुछ ग्रंथों में पांडवों से संबंधित अन्य कहानियां भी मिलती है, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं।
उज्जैन. आज हम आपको एक ऐसी ही कथा के बारे में बता रहे हैं, जिसके अनुसार द्वापर युग के अलावा पांडवों का जन्म कलियुग में भी हुआ था। इस कथा के बारे में भविष्यपुराण में बताया गया है।
शिवजी ने दिया था पांडवों को श्राप
भविष्यपुराण के अनुसार, कुरुक्षेत्र के युद्ध में जब कौरव हार गए तो उनकी सेना में सिर्फ तीन लोग ही जीवित बचे थे- अश्वत्थामा, कृतवर्मा और कृपाचार्य। युद्ध समाप्त होने के बाद ये तीनों पांडवों के शिविर में गए। वहां भगवान शिव को देखकर अश्वत्थामा उनसे युद्ध करने लगा। अश्वत्थामा की वीरता से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे पांडवों के शिविर में प्रवेश करने की आज्ञा दे दी। जिसके बाद अश्वत्थामा ने पांडवों के शिविर में घुसकर शिवजी से प्राप्त तलवार से पांडवों के सभी पुत्रों का वध कर दिया।
जब पांडवों को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने इसे भगवान शिव की ही करनी समझा और उनसे युद्ध करने चले गए। जैसे ही पांडव शिवजी से युद्ध करने पहुंचे, उनके सभी अस्त्र-शस्त्र शिवजी में समा गए। शिवजी ने पांडवों को श्राप दिया कि तुम सभी श्रीकृष्ण के उपासक हो, इसलिए इस जन्म में तुम्हे इस अपराध का फल नहीं मिलेगा, लेकिन इसका फल तुम्हें कलियुग में फिर से जन्म लेकर भोगना पड़ेगा।भगवान शिव की यह बात सुनकर सभी पांडव दुखी हो गए और इसी विषय में बात करने और इसका हल जानने के लिए श्रीकृष्ण के पास पहुंच गए, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया कि कौन-सा पांडव कलियुग में कहां और किसके घर जन्म लेगा। इस तरह पांडवों को कलयुग में जन्म लेकर भगवान शिव का विरोध करने का फल भुगतना पड़ा।
कलियुग में इस रूप में जन्मे पांडव
1. कलियुग में अर्जुन का जन्म परिलोक नाम के राजा के यहां हुआ और उनका नाम था ब्रह्मानन्द।
2. युधिष्ठिर वत्सराज नाम के राजा के पुत्र बनें और उनका नाम था मलखान।
3. भीम वीरण के नाम से जन्मे और वे वनरस नाम के राज्य के राजा बने।
4. नकुल का जन्म कान्यकुब्ज के राजा रत्नभानु का यहां पर होगा और उनका नाम हुआ लक्षण।
5. सहदेव का जन्म भीमसिंह नामक राजा के घर में देवसिंह के नाम से हुआ।