सार
हिंदू कैलेंडर का पहला महीना चैत्र 29 मार्च से शुरू हो चुका है, जो 27 अप्रैल तक रहेगा। इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य आसमान में ज्यादा देर तक रहता है। साथ ही सूर्य अपनी उच्च राशि में रहता है। इससे सूर्य का प्रभाव और ज्यादा बढ़ जाता है।
उज्जैन. चैत्र महीने के दौरान खान-पान और दिनचर्या में बदलाव किए जाते हैं, जिससे बीमारियों से लड़ने की ताकत बढ़ती है और पूरे साल सेहत अच्छी रहती है। धार्मिक दृष्टि से इस महीने का जितना महत्व है उतना ही सेहत के लिए भी है। इस महीने में क्या करना चाहिए और क्या नहीं, जानिए…
1. चैत्र महीने के दौरान सूर्योदय से पहले उठकर नहाना चाहिए। सूर्य नमस्कार करना चाहिए। साथ ही उगते हुए सूरज को जल चढ़ाना चाहिए।
2. सूर्य को भगवान विष्णु का ही रूप माना गया है। इसलिए वसंत ऋतु में जब सूर्य की किरणें सृजन करती हैं, तब सूरज को जल चढ़ाने से जीवनी शक्ति तो बढ़ती ही है साथ ही बीमारियों से लड़ने की ताकत और उम्र भी बढ़ती है।
3. चैत्र महीने के दौरान वसंत ऋतु रहती है। आयुर्वेद में इस कहा गया है कि इस ऋतु के दौरान नए अनाज और नया चावल नहीं खाना चाहिए। बल्कि भोजन में जौ, ज्वार और पुराना अनाज शामिल करना चाहिए।
4. इस महीने में जो तीज-त्योहार आते हैं उनकी परंपराएं के मुताबिक नए अनाज और नए चावल देवी-देवताओं को चढ़ाते हैं। होलिका दहन में भी मौसम के पहले गेहूं की बालियां जलाई जाती हैं।
5. चैत्र महीने के दौरान एक समय खाना खाना चाहिए। साथ ही नमक का त्याग भी करना चाहिए। ये भी एक तरह का व्रत ही होता है। ऐसा करने से शरीर में बीमारियों से लड़ने की शक्ति बढ़ जाती है।
6. चैत्र में एक समय खाना खाने के साथ ही फलों का सेवन भी ज्यादा करना चाहिए। इस महीने व्रत के दौरान गुनगुना पानी पीना चाहिए। इससे शिशिर ऋतु के दौरान शरीर में बना कफ धीरे-धीरे खत्म होने लगता है।
7. चैत्र महीने में ज्यादा तला-गला और मसालेदार खाने से दूरी रखनी चाहिए। इस समय ऋतुओं का संक्रमण होता है जिससे इस दौरान पाचन शक्ति पर भी असर पड़ता है। ऐसे में चैत्र महीने में ज्यादा तैलीय और मसालेदार भोजन से परहेज रखने का विधान ग्रंथों में बताया गया है।
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