सार
आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) ने स्वयं भले ही कोई युद्ध न किया हो, लेकिन सम्राट चंद्रगुप्त के युद्ध के दौरान लिए गए लगभग सभी निर्णय उनके ही होते थे। यही कारण है कि चंद्रगुप्त ने कभी कोई युद्ध हारा नहीं।
उज्जैन. आचार्य चाणक्य महान कूटनीतिज्ञ थे। वे हर निर्णय देशहित में ही लेते थे। इसलिए उन्होंने कई दुश्मन राजाओं की पुत्रियों का विवाह चंद्रगुप्त से करवाया। आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन में अच्छी और बुरी दोनों परिस्थितियों का सामना किया परंतु कभी भी अपना आत्मविश्वास कम नहीं होने दिया। देश हित में आडे़ आ रहे मगध के राजा धनानंद का सर्वनाश भी आचार्य चाण्कय की नीतियों के चलते ही हुआ। आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि जब दुश्मन हमसे अधिक ताकतवर हो तो किन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख उसे हराया जा सकता है। आगे जानिए आचार्य चाणक्य की इन नीतियों के बारे में…
कैसे करें ताकतवर दुश्मन से सामना?
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जब दुश्मन हमसे अधिक शक्तिशाली हो तो उस समय उससे किसी तरह से बचना ही ठीक रहता है। ऐसी स्तिथि में किसी भी तरह अपने प्राणों की रक्षा सबसे पहले करनी चाहिए। इसके बाद जब लगे कि अब समय अनुकूल है तो स्वंय की शक्ति बढ़ाने के विषय में सोचना चाहिए और इसके लिए अधिक से अधिक प्रयास करने चाहिए। इसके लिए अपने मित्रों और शुभचिंतकों को मदद भी लेना चाहिए। जब ये काम हो जाए तो योजना बनाकर अचानक शत्रु पर आक्रमण करना चाहिए। वार इतना भीषण होना चाहिए कि दुश्मन को संभलने की मौका भी न मिले।
शत्रु की कमजोरियों का आंकलन करें
आचार्य चाणक्य के अनुसार जब हम अपने शक्ति बढ़ाने का काम कर रहे हो उसी दौरान हमें गुप्त रूप से दुश्मन की गतिविधियों पर भी नजर रखनी चाहिए और उसकी कमजोरियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ताकि हमला करते समय हमें उसका फायदा मिल सके और दुश्मन चाहकर भी कुछ न कर पाए। युद्ध नीति के अनुसार, शत्रु की गतिविधि पर नजर रखकर और उसकी कमजोरियों का पता लगाकर ही उसे परास्त किया जा सकता है।
आस-पास के लोगों से भी सतर्क रहें
आचार्य चाणक्य के अनुसार, हर सफल व्यक्ति के कई दुश्मन होते हैं और वे आस-पास ही होते हैं। ये छिपकर वार करते हैं और नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं। ऐसे छिपे हुए दुश्मन हमारे लिए ज्यादा खतरनाक होते हैं। इसलिए किसी पर भी जरूरत से ज्यादा विश्वास नहीं करना चाहिए और समय-समय पर उनकी परीक्षा भी लेनी चाहिए। अचानक वार होने पर घबराने की बजाय शत्रु की हर चाल का डटकर मुकाबला करना चाहिए तो हमें जीत हासिल हो सकती है।
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