सार
जीवन में सुख, शांति और सफलता चाहते हैं तो आचार्य चाणक्य की नीतियां हमारे काम आ सकती हैं।
उज्जैन. आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के प्रभाव से ही चंद्रगुप्त जैसे सामान्य बालक को अखंड भारत का सम्राट बना दिया था। चाणक्य ने नीतिशास्त्र की रचना की थी। इसी शास्त्र के अनुसार जानिए एक ऐसी नीति जो हर पिता को ध्यान रखनी चाहिए...
चाणक्य कहते हैं कि
पुत्राश्च विविधै: शीलैर्नियोज्या: सततम् बुधै:।
नीतिज्ञा शीलसंपन्नां भवन्ति कुलपूजिता:।।
- ये चाणक्य नीति के दूसरे अध्याय का 10वीं नीति है। इस नीति के अनुसार वही पिता बुद्धिमान है जो अपने पुत्र और पुत्री को सभी तरह के शुभ गुणों और संस्कारों की शिक्षा देता है। नीतिवान और शालीन लोग ही कूल में पूजे जाते हैं।
- चाणक्य कहते हैं कि बच्चों के पालन-पोषण में बिल्कुल भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए, क्योंकि संतान के गलत कामों की वजह से पिता को समाज में अपमानित होना पड़ता है।
- संतान अच्छे काम करेगी तो उसे भी मान-सम्मान मिलेगा और उसके पिता को भी। संस्कारी बच्चों को कूल में पूजा जाता है। जो लोग ये नीति ध्यान रखते हैं उनके घर में सुख-शांति हमेशा बनी रहती है।