सार
आचार्य चाणक्य भारत के महान विद्वानों में से एक थे। उन्होंने अपनी बुद्धि और विवेक न सिर्फ धनानंद जैसे राजा को राजगद्दी से हटाया बल्कि चंद्रगुप्त जैसे एक साधारण युवक को अंखड भारत का सम्राट भी बनाया।
उज्जैन. आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) ने अपनी नीतियों के बल पर खंड-खंड में बटे भारत को एक सूत्र में पिरोया और एक नए भारत की नींव रखी। आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई नीतियां आज के समय में भी कारगर हैं। अगर इन नीतियों का पालन किया जाता है तो हम कई परेशानियों से बच सकते हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि किस व्यक्ति को किन चीजों से दूर रहना चाहिए, नहीं तो बाद में पछताना पड़ सकता है या नुकसान हो सकता है। आगे जानिए आचार्य चाणक्य की इस नीति के बारे में…
चाणक्य कहते हैं-
अनभ्यासे विषं शास्त्रमजीर्णे भोजनं विषम्।
दरिद्रस्य विषं गोष्ठी वृद्धस्य तरुणी विषम्।।
अर्थ- अभ्यास के बिना ज्ञान, अजीर्ण हो तो भोजन, गरीब के लिए समारोह और वृद्ध पुरुष के लिए सुंदर पत्नी विष के समान होते हैं।
अभ्यास के बिना ज्ञान बेकार हो जाता है
आचार्य चाणक्य के अनुसार, आपके पास कितना भी ज्ञान क्यों न हो अगर आप उसका लगातार अभ्यास नहीं करते तो वो ज्ञान किसी काम का नहीं। अभ्यास न करने के कारण आप उस ज्ञान को भूलते जाएंगे और काम पढ़ने पर आप उसका सदुपयोग भी नहीं कर पाएंगे। ऐसी स्थिति में वो ज्ञान आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। अभ्यास के बिना ज्ञान की परख नहीं हो पाती और परेशानियां ही बढ़ती हैं।
पेट खराब हो तो खाना न खाएं
आचार्य चाणक्य के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के पेट खराब है यानी उसे खाना पचाने में समस्या हो रही है तो ऐसी अवस्था में अगर स्वाद के चक्कर में वह कुछ और भी खा लेता है तो यह स्थिति उसके लिए दुखदाई हो सकती है। ऐसी अवस्था में पेट दर्द व अन्य समस्याएं हो सकती हैं जो काफी तकलीफदेह होती है। इसके बाद भी अगर आराम न मिले तो चिकित्सक के पास जाना अंतिम विकल्प होता है। इसलिए कहा गया है कि पेट खराब होने पर कुछ भी खाना नहीं चाहिए।
गरीब व्यक्ति की समारोह में उपेक्षा हो सकती है
आचार्य चाणक्य ने कहा है कि किसी गरीब के लिए कोई समारोह में जाना विष की तरह होता है। क्योंकि गरीब होने के कारण उसके पास अच्छे कपड़े नहीं होते हैं और वह किसी कार्यक्रम में जाता है तो उसे अपमानित होना पड़ सकता है। लोग उसका मजाक भी उड़ा सकते हैं। इसलिए किसी भी स्वाभिमानी गरीब व्यक्ति के लिए समारोह में जाना दुर्भाग्य की तरह माना गया है।
सुंदर स्त्री से दूर रहना चाहिए
आचार्य चाणक्य के अनुसार, वृद्ध पुरुष को जवान महिला से विवाह करने से बचना चाहिए क्योंकि सफल वैवाहिक जीवन के लिए स्त्री-पुरुष दोनों का शारीरिक और मानसिक रूप से संतुष्ट होना जरूरी है। ऐसे बेमेल विवाह में ऐसा होना मुश्किल है। वृद्ध पुरुष का विवाह किसी जवान स्त्री से होता है तो ऐसी शादी सफल होने की संभावनाएं बहुत कम होती हैं। और भी कई परेशानी इस तरह के विवाह में सामने आ सकती है। इसलिए वृद्ध पुरुष के लिए सुंदर पत्नी विष के समान बताई गई है।
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