सार

हमारे धर्म ग्रंथों में स्वर्ग के बारे में काफी कुछ लिखा गया है, उसके अनुसार यदि हम अच्छे कार्य करेंगे तो मरने के बाद स्वर्ग में जाएंगे, जहां हमारे लिए कई तरह की सुख-सुविधाएं होंगी और हमें किसी बात की तकलीफ नहीं होगी।

उज्जैन. आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि अगर किसी व्यक्ति को अपने जीवन में ये 3 सुख मिल जाए तो उसके लिए धरती पर स्वर्ग उतर आता है यानी उसे अपने जीवन के सभी सुख यहीं मिल जाते हैं। आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) द्वारा लिखी गई ये बातें भले ही सुनने में थोड़ी अजीब लगे, लेकिन इन्हें सिरे से नकारा भी नही जा सकता है। आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई नीतियां आज के समय में भी प्रासंगिक है। आगे जानिए उन 3 सुखों के बारे में जिसके मिलने पर धरती पर स्वर्ग के आनंद मिल जाते हैं…

पहला सुख है घर-परिवार को संभालने वाली स्त्री
वर्तमान में अधिकार परिवार एकल ही होते हैं यानी पति-पत्नी और बच्चे। जबकि पुराने समय में संयुक्त परिवार एक साथ रहता था, उसमें अनेक सदस्य होते थे। क्योंकि उस समय की महिलाओं की सोच बहुत व्यापक होती थी और वे सिर्फ अपने पति और बच्चों के बारे में ही नहीं बल्कि पूरे परिवार के बारे में सोचती थी। ऐसी स्त्री अगर मिल जाए तो एक साधारण घर को भी स्वर्ग के समान बना सकती है। धर्म का पालन करने वाली स्त्री सुख और दुख दोनों परिस्थितियों में अपने पति का साथ देती है। देवी लक्ष्मी भी ऐसे ही घर में वास करती है। इसलिए ऐसे व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली माने गए हैं।

दूसरा सुख है आज्ञाकारी और बुद्धिमान संतान
आचार्य चाणक्य के अनुसार संतान अगर बुद्धिमान और आज्ञाकारी हो तो इससे बड़ा सुख दूसरा और कोई नहीं है क्योंकि अधिकांश लोगों को संतान के द्वारा ही दुख मिलते हैं। संतान गलत रास्ते पर चली जाए तो भी माता-पिता को ही दुख मिलता है और अगर संतान सही रास्ते पर होते हुए भी माता-पिता की सेवा न करे तो और भी समाज में अपमान ही मिलता है। इसलिए आचार्य चाणक्य ने आज्ञाकारी और बुद्धिमान संतान को सबसे बड़े सुखों में से एक बताया है।

तीसरा सुख है आत्मसंतुष्टि
आचार्य चाणक्य के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के पास सभी सुख हो, लेकिन तो भी वह अगर संतुष्ट नहीं है तो उसके लिए सभी सुख कोई माएने नहीं रखते। और अगर कोई व्यक्ति सीमित संसाधनों में भी संतुष्ट है तो उसके सामने संसार का सारा धन भी किसी काम का नहीं। इसलिए अगर आप धरती पर स्वर्ग पाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपका आत्मसंतुष्ट होना बहुत जरूरी है।

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