सार

आचार्य चाणक्य के अनुसार मनुष्य के जीवन में शिक्षा का बहुत महत्व होता है। जिस व्यक्ति के पास धन और ज्ञान दोनों होते हैं, वह हर परिस्थिति से निकलने में सक्षम होता है।

उज्जैन. ज्ञान न केवल मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों से निकलने में सहायता करता है बल्कि एक अच्छे भविष्य के निर्माण के लिए भी ज्ञान का होना बहुत आवश्यक होता है। लेकिन कई बार ऐसी स्थितियां भी निर्मित हो जाती हैं जब धन और ज्ञान समय पड़ने पर आपके किसी काम का नहीं रह जाता है। आगे जानिए कब ऐसी स्थिति बनती है…

पुस्तकेषु च या विद्या परहस्तेषु च यद्धनम् ।
उत्पन्नेषु च कार्येषु न सा विद्या न तद्धनम् ॥

किताबी ज्ञान किसी काम का नहीं
आचार्य चाणक्य नीति शास्त्र में धन और शिक्षा जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में जिक्र किया है। आचार्य चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से कहते हैं कि जो विद्या पुस्तकों तक ही सीमित है, वह समय पड़ने पर मनुष्य के किसी काम नहीं आती है। चाणक्य किताबी ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान को भी बहुत महत्वपूर्ण मानते थे। महत्वपूर्ण विषयों की अच्छी जानकारी होने के साथ मनुष्य को समाज के बारे में भी व्यवहारिक समझ होनी चाहिए।

ज्ञान लेते समय न करें संकोच
चाणक्य के अनुसार गुरू से ज्ञान लेते हुए कभी संकोच नहीं करना चाहिए। जो लोग ज्ञान प्राप्त करते समय संकोच करते हैं और अपनी शंका का समाधान नहीं करते हैं, उनका ज्ञान अधूरा रह जाता है। आधा अधूरा ज्ञान समय पड़ने पर किसी काम का नहीं रहता है।

दूसरे में हाथों में दिया धन
इसी तरह से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसा धन व्यक्ति के किसी काम का नहीं होता है जो धन दूसरों के पास पड़ा हो। इसलिए धन को हमेशा सही प्रकार से अपने पास संचय करके रखना चाहिए ताकि समय पड़ने पर वह आपके काम आ सकें। चाणक्य नीति के अनुसार धन हाथ में और विद्या कंठ में हो इसी में दोनों की सार्थकता है।

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