सार
भारत में कई महान विद्वान हुए, जिन्होंने देश और समाज को नई दिशा दी। ऐसे ही एक महान विद्वान थे आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti)। एक साधारण परिवार में जन्में आचार्य चाणक्य ने इस देश को एक सूत्र में पिरोया और अखंड भारत का सपना साकार किया।
उज्जैन. आचार्य चाणक्य ने एक चरवाहे के पुत्र चंद्रगुप्त मौर्य को भारत का सम्राट बनाया। आचार्य चाणक्य की बनाई हुई नीतियां आज के समय में भी पूरी तरह प्रासंगिक लगती हैं। उनके लाइफ मैनेजमेंट सूत्र यदि जीवन में उतार लिए जाएं तो कई तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है। अपने एक सूत्र में आचार्य चाणक्य उन 4 सुखों के बारे में बताया है जो सिर्फ किस्मत वाले लोगों को ही मिलते हैं। आगे जानिए कौन-से हैं वो 4 सुख…
1. समय पर मिला भोजन उसे पचाने की शक्ति
भोजन किसी भी मनुष्य की सबसे बड़ी जरूरत होती है। क्योंकि इसके बिना जीवन संभव नहीं है। एक तो समय पर भोजन मिलना और दूसरा उस भोजन को पचाने की शक्ति होना ये सुख जिन लोगों को पास होते हैं वे बहुत भाग्यशाली होते हैं। क्योंकि कई लोगों के बाद पर्याप्त भोजन नहीं होता तो कई बार अपार धन-संपदा होने के बाद भी बीमारियों के कारण व्यक्ति मनचाहा भोजन नहीं कर पाता, क्योंकि इसकी पाचन शक्ति क्षीण हो चुकी होती है।
2. परिवार का पालन और प्रेम करने वाली पत्नी
वर्तमान समय में हर दूसरा व्यक्ति पत्नी के व्यवहार से ही दुखी नजर आता है। किसी की पत्नी झगड़ालू होती है तो किसी की आलसी। इस वजह से आए दिन परिवार में वाद-विवाद की स्थिति बनती रहती है। कई बार इस वजह से पूरा परिवार ही बिखर जाता है और भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए आचार्य चाणक्य ने कहा कि कि प्रेम करने वाली और परिवार का पालन करने वाली पत्नी मिल जाए तो जीवन आराम से कट जाता है।
3. पर्याप्त धन जिसमें जीवन यापन हो सके
धन ऐसी चीज है, जितना भी हो कम ही लगता है। लेकिन इसके बिना जीवन के भौतिक सुखों का आनंद भी नहीं लिया जा सकता। इसलिए कहा गया है कि धन इतना होना चाहिए कि जरूरी चीजों के लिए तरसना न पड़े और मौलिख सुखों का का आनंद लिया जा सके। साथ ही अगर कोई मेहमान घर आ जाए तो उसका सत्कार भी ठीक से किया जा सके। इससे अधिक की कामना रखने से मन में लोभ आ जाता है।
4. दान करने का उत्साह
पैसा होना ही जीवन का सुख नहीं है बल्कि धन के अधिक होने पर उसका सही जगह पर दान करना भी जीवन के सुखों में से एक है। अगर आपके पास अपनी जरूरत से ज्यादा पैसा है तो उसका उपयोग जनकल्याण में करना चाहिए। ऐसा आचार्य चाणक्य का मानना है। इससे समाज में परिवार का मान-सम्मान भी बढ़ता है।
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