सार

इस बार 2 दिन (11 और 12 अप्रैल) चैत्र मास की अमावस्या का योग बन रहा है। 11 अप्रैल को चतुर्दशी तिथि युक्त अमावस्या रहेगी। दूसरे दिन यानी 12 अप्रैल को पूर्ण अमावस्या रहेगी। चतुर्दशी तिथि से युक्त होने के कारण 11 अप्रैल की अमावस्या दर्श अमावस्या कहलाएगी।

उज्जैन. इस बार 2 दिन (11 और 12 अप्रैल) चैत्र मास की अमावस्या का योग बन रहा है। 11 अप्रैल को चतुर्दशी तिथि युक्त अमावस्या रहेगी। दूसरे दिन यानी 12 अप्रैल को पूर्ण अमावस्या रहेगी। चतुर्दशी तिथि से युक्त होने के कारण 11 अप्रैल की अमावस्या दर्श अमावस्या कहलाएगी।

दर्श अमावस्या क्यों विशेष?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, दर्श अमावस्या की तिथि सुख-समृद्धि और परिवार के उद्धार की कामना के लिए बहुत खास होता है। इस दिन पूर्वजों की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि जो लोग इस दिन सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं। चंद्रदेव उनकी प्रार्थना जरूर सुनते हैं। इस दिन चंद्र दर्शन और उपवास करने वाले लोग आध्यात्मिक संवेदनशीलता प्राप्त कर सकते हैं।

3 प्रकार की होती है अमावस्या
काशी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि ग्रंथों में तीन तरह की अमावस्या बताई गई है। जब सूर्योदय से शुरू होकर पूरी रात अमावस्या तिथि हो तो उसे "सिनीवाली अमावस्या" कहा जाता है। जिस दिन चतुर्दशी के साथ अमावस्या तिथि हो तो उसे "दर्श अमावस्या" कहा गया है। इनके अलावा जब अमावस्या के साथ प्रतिपदा तिथि भी हो तो उसे "कुहू अमावस्या" कहा गया है।

चंद्रदेव की मिलती है कृपा
जो लोग दर्श अमावस्या पर चंद्रदेव की पूजा करते हैं, उन्हें अपने जीवन में अच्छे भाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। भगवान चंद्र देव की पूजा करने से जीवन में जिन कामों में रुकावटें आ रही होती हैं वे दूर हो जाती हैं। पंडितों और ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि भगवान चंद्र देव की पूजा करने से मन को शीतलता और शांति का अहसास होता है।

इस दिन करें उपवास
जिन लोगों के जीवन में संघर्ष अधिक होता है, भगवान चंद्र देव उनके रास्तों को आसान बनाते हैं। वहीं जो लोग अपने जीवन में मोक्ष प्राप्त करना चाह‍ते हैं, ऐसे लोग अगर इस दिन उपवास रखकर चंद्र देव की पूजा करते हैं तो उनकी इच्छा पूरी होती है। शास्त्रों में चंद्र देव को सबसे महत्वपूर्ण नवग्रहों में से एक माना गया है।