सार

Diwali 2022: दीपावली पर देवी लक्ष्मी के साथ भगवान श्रीगणेश और देवी सरस्वती की पूजा भी की जाती है। कुछ स्थानों पर कागज पर अंकित देवी-देवताओं की पूजा की जाती है तो कहीं मिट्टी से बनी देव प्रतिमाओं की।
 

उज्जैन. कार्तिक अमावस्या पर दीपावली (Diwali 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 24 अक्टूबर, सोमवार को है। इस दिन मुख्य रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, साथ ही भगवान श्रीगणेश और देवी सरस्वती की पूजा का विधान भी इस दिन है। कुछ स्थानों पर कागज पर अंकित देवी-देवताओं की पूजा की जाती है तो कहीं मिट्टी से निर्मित। पूजा के बाद इन प्रतिमाओं का क्या करना चाहिए। इसके विषय में कम ही लोग जानते हैं। आगे जानिए पूजा के बाद इन देव प्रतिमाओं का क्या करना चाहिए…

पूजा करते ध्यान रखे ये बातें
जब भी किसी देवी-देवता की नई प्रतिमा की पूजा की जाती है, तो सबसे पहले आवाहन मंत्र बोला जाता है जिसका अर्थ है कि आप इन देवी-देवताओं को पूजा के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। आवाहन मंत्र बोलना पूजा के दौरान बहुत जरूरी माना जाता है। दीपावली पूजा में भी ये जरूरी है। चाहे आप कागज पर अंकित देव प्रतिमा की पूजा करें या मिट्टी से निर्मित, दोनों ही स्थिति में आवाहन मंत्र जरूर बोलें।

पूजा के बाद क्या करें?
रात को पूजा करने के बाद देव प्रतिमाओ के पास शुद्ध घी का दीपक रात भर जलते रहने दें। अगली सुबह शुभ मुहूर्त देखकर पहले भोग लगाएं और विसर्जन मंत्र बोलकर मूर्तियों को थोड़ा सा खिसका दें। विसर्जन मंत्र का अर्थ है कि आपने देवी-देवताओं को उनके स्थान पर भेजने के लिए प्रार्थना की है। 

मूर्तियों का क्या करें?
हिंदू धर्म के अनुसार, देव प्रतिमाओं का नदी या तालाब में विसर्जन करना चाहिए। दीपावली पूजा में भी ये नियम लागू होता है। चाहे आप  कागज पर अंकित देव प्रतिमा की पूजा करें या मिट्टी से निर्मित की। विसर्जन के बाद दोनों ही सम्मान पूर्वक नदी या तालब में विसर्जन कर दें। साथ ही ये प्रार्थना भी करें कि हमारे घर में धन-धान्य की कोई कमी न हो।


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