सार

diwali celebration in status: दीपावली हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस बार ये पर्व 24 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा। इस पर्व से जुड़ी अनेक परंपराएं और मान्यताएं हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में ये पर्व भिन्न रूपों में मनाया जाता है।
 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक अमावस्या पर दीपावली (Diwali 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 24 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा। ये सिर्फ एक पर्व नहीं बल्कि पर्वों की श्रृंखला है। इस त्योहार का इंतजार बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को रहता है। खास बात ये है कि ये त्योहार पूरे देश में अलग-अलग मान्यताओं और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा तो की ही जाती है, साथ ही कहीं गौधन की पूजा होती है तो कहीं पूर्वजों को याद किया जाता है। इस तरह ये पर्व अनेकता में एकता का परिचायक है। आगे जानिए देश के किस हिस्से में ये पर्व किस तरह मनाया जाता है…

आंध्र प्रदेश
ये प्रदेश भारत के दक्षिण भाग का एक हिस्सा है। यहां की मान्यताएं काफी अलग होती है। 5 दिवसीय दीपोत्सव के अंतर्गत यहां नरक चतुर्दशी को सबसे खास दिन माना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने नरकासुर राक्षस का वध किया थआ। इसलिए इस दिन यहां देवी सत्यभामा की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा की जाती है।

महाराष्ट्र
देश के इस हिस्से में दीपावली 1 नहीं बल्कि  4 दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन गौधन यानी गाय-बछड़ों की पूजा की जाती है। नरक चतुर्दशी पर सूर्योदय से पहले उबटन लगाकर अभ्यंग स्नान किया जाता है। अमावस्या पर लक्ष्मी पूजा की जाती है। इसके बाद गोवर्धन की परंपरा है।

कोलकाता
यहां दीपावली पर देवी लक्ष्मी नहीं बल्कि काली माता की पूजा की जाती है। इसलिए इसे काली पूजा भी कहते हैं। यहां दीपावली उत्सव 3 दिनों तक मनाया जाता है। घरों में मां काली की मूर्ति स्थापित की जाती है और विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती है। यहां बड़े-बड़े पांडालों में भी काली पूजा का आयोजन किया जाता है।

ओडिसा
ओडिसा में दीपावली की बहुत ही अलग परंपरा है। यहां लोग दीपावली पर अपने मृत पूर्वजों को याद करते हैं और विशेष पूजा का आयोजन भी किया जाता है। इस मौके पर यहां जूट जलाया जाता है, मान्यता है कि जूट जलाने से पूर्वजों को स्वर्ग जाते समय किसी प्रकार के अंधेरे का सामना नहीं करना पड़ता।

कर्नाटक
ये भी भारत के प्रमुख प्रदेशों में से एक है। मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया तो इसके बाद उसके रक्त के धब्बे हटाने के लिए तेल से विशेष स्नान किया। इसी के आधार पर लोग नरक चतुर्दशी पर सुबह तेल मालिश कर विशेष स्नान करते हैं। दीपावली को यहां बालि पद्यमी के नाम से जाना जाता है।

मध्य प्रदेश
इस प्रदेश में दीपावली के पांचों दिन बहुत खास तरीके से उत्सव मनाया जाता है। पहले दिन धन की देवता कुबेर और भगवान धन्वन्तरि की पूजा की जाती है। दूसरे दिन यमराज के निमित्त दीप दान किया जाता है। तीसरे दिन लक्ष्मी पूजा, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और पांचवें दिन भाई दूज का पर्व मनाने की परंपरा है।

तमिलनाडु
ये राज्य भी दक्षिण भारत के अंतर्गत आता है। यहां दीपावली से पहले घर के चूल्हे को अच्छी तरह साफ किया जाता है और उस पर लाल या पीले कुमकुम से बिंदी लगाई जाती है। इस चूल्हे को दिवाली की पूजा में शामिल किया जाता है। 


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