सार
हिंदू धर्म में हर पर्व और उत्सव से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं बनाई गई हैं। ऐसी ही कुछ मान्यताएं सूर्य व चंद्रग्रहण से भी जुड़ी हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार ग्रहण के दौरान कुछ काम जैसे भोजन करना आदि की मनाही है। इस सभी मान्यताओं के पीछे धार्मिक, वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक तथ्य छिपे हैं।
उज्जैन. इस बार साल का पहला सूर्यग्रहण 30 अप्रैल, शनिवार को होने जा रहा है। ये ग्रहण भारत में दिखाई न देने के कारण यहां इसका कोई महत्व नहीं रहेगा। जिन देशों में ये दिखाई देगा, सिर्फ वहीं इसकी मान्यता रहेगी। ग्रहण के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं। इससे जुड़े कई सवाल लोगों को मन में होते हैं। आगे जानिए ग्रहण से जुड़ी कुछ ऐसी ही बातें…
ग्रहण से पहले भोजन में तुलसी के पत्ते जरूर डालें
हिंदू धर्म में ग्रहण के दौरान कुछ खास काम करने की मनाही है। भोजन करना भी इनमें से एक है। यानी ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए। कुछ ग्रंथों में तो ये तक कहा गया है कि ग्रहण के बाद पके हुए भोजन को फेंक देना चाहिए। लेकिन ऐसा करने से भोजन का अपमान होता है, इसिलए ग्रहण शुरु होने से पहले उसमें तुलसी के पत्ते डाले जाते हैं ताकि वो भोजन खाने योग्य बना रहे।
ग्रहण को दौरान पूजा-पाठ न करें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण काल में पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। यही कारण है कि ग्रहण काल के दौरान मंदिर के गर्भगृह को बंद कर दिया जाता है। यहां तक कि भगवान की मूर्तियों को भी इस दौरान स्पर्श नहीं करना चाहिए। इसका कारण है सूतक काल। धर्म ग्रंथों में सूतक काल को अशुभ समय माना गया है।
कर सकते हैं मंत्र जाप
ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ नहीं कर सकते, लेकिन मंत्र जाप कर सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल के दौरान अपने ईष्टदेवता के मंत्रों का जाप करना शुभ फलदायक रहता है। यदि और कोई मंत्र याद न हो तो गायत्री मंत्र अथवा महामृत्युजंय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। इतना भी याद न हो तो शिव पंचाक्षर मंत्र ऊं नम: शिवाय का जाप करें।
गर्भवती स्त्री न निकलें घर से बाहर
ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्री को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से गर्भ में पल रहे शिशु पर निगेटिव असर हो सकता है। साथ ही इस दौरान गर्भवती महिलाओं के तेज धार वाले औजार जैसे चाकू या कैंची का उपयोग भी नहीं करना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
इस बात का भी रखें ध्यान
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ग्रहण का सूतक लगते ही नियमों का पालन करना शुरू कर देना चाहिए। ग्रहण काल में पति-पत्नी को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। यानी एक-दूसरे से पर्याप्त दूरी बनाकर रखनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि अगर ग्रहण काल के दौरान गर्भ रह जाए तो उससे होने वाली संतान को अपने जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है और परिवार के लिए भी ऐसी संतान दुख का कारण बनती है।
ग्रहण के बाद ये करें
ग्रहण की समाप्ति के बाद पूरे घर की अच्छे से साफ-सफाई करनी चाहिए। गरीब और जरूरमंदों को दान करना चाहिए। गाय को घास खिलाना चाहिए और संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान कर पितरों की तर्पण भी करना चाहिए। ऐसा करने से ग्रहण के दोष समाप्त हो जाते हैं।
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