सार
26 मई, मंगलवार को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। मंगलवार को चतुर्थी होने से इस बार अंगारक चतुर्थी का योग बन रहा है।
उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस दिन सुख-समृद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा के साथ ही उनके 12 नाम मंत्रों का जाप भी करना चाहिए। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें। जानिए गणेशजी की पूजा की सरल विधि और 12 नाम मंत्र...
पूजा में बोलें गणेशजी के 12 नाम मंत्र
गणेशजी को दूर्वा की 11 या 21 गांठ चढ़ाएं और दूर्वा चढ़ाते समय इन मंत्रों का जाप करें। ऊँ गणाधिपतयै नम:, ऊँ उमापुत्राय नम:, ऊँ विघ्ननाशनाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ ईशपुत्राय नम:, ऊँ सर्वसिद्धप्रदाय नम:, ऊँ एकदन्ताय नम:, ऊँ इभवक्त्राय नम:, ऊँ मूषकवाहनाय नम:, ऊँ कुमारगुरवे नम:
ये है गणेशजी की सरल पूजा विधि
- गणेश चतुर्थी पर स्नान के बाद सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- इसके बाद भगवान श्रीगणेश को जनेऊ पहनाएं। अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र आदि चढ़ाएं। पूजा का धागा अर्पित करें। चावल चढ़ाएं।
- गणेश मंत्र बोलते हुए दूर्वा चढ़ाएं और लड्डुओं का भोग लगाएं। कर्पूर से भगवान श्रीगणेश की आरती करें।
- पूजा के बाद प्रसाद अन्य भक्तों को बांट दें। अगर संभव हो सके तो घर में ब्राह्मणों को भोजन कराएं। दक्षिणा दें।
- गणेश चतुर्थी का व्रत करने वाले व्यक्ति को शाम को चंद्र दर्शन करना चाहिए, पूजा करनी चाहिए। इसके बाद ही भोजन करना चाहिए।