सार
November 2022 Festival calendar: साल 2022 का ग्यरहवां महीना नवंबर जल्दी ही शुरू होने वाला है। इस महीने में कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाएंगे। इसलिए धार्मिक दृष्टिकोण से ये महीना बहुत ही खास रहेगा। इस महीने में कार्तिक और अगहन महीने का योग बनेगा।
उज्जैन. नवंबर 2022 के पहले ही सप्ताह में कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाएंगे। महीने की शुरूआत के 8 दिन कार्तिक मास के रहेंगे। इसके बाद अगहन मास पूरे महीने रहेगा। इस महीने में चातुर्मास समाप्त हो जाएंगे और मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाएगी। नवंबर 2022 में गोपाष्टमी, आंवला नवमी, देवउठनी एकादशी, प्रदोष व्रत, बैकुण्ठ चतुर्दशी, कार्तिक पूर्णिमा, गणेश चतुर्थी, कालभैरव अष्टमी, उत्पन्ना एकादशी, विवाह पंचमी, चंपा षष्ठी आदि प्रमुख त्योहार मनाए जाएंगे। आगे जानिए नवंबर 2022 में मनाए जाने वाले त्योहारों की पूरी जानकारी…
नवंबर 2022 में मनाए जाएंगे ये व्रत-त्योहार
1 नवंबर, मंगलवार- गोपाष्टमी
2 नवंबर, बुधवार- आंवला नवमी
4 नवंबर, शुक्रवार- देवउठनी एकादशी\तुलसी विवाह
5 नवंबर, शनिवार- शनि प्रदोष
7 नवंबर, सोमवार- बैकुण्ठ चतुर्दशी
8 नवंबर, मंगलवार- कार्तिक पूर्णिमा\ गुरुनानक जयंती
11 नवंबर, शुक्रवार- गणेश चतुर्थी व्रत
16 नवंबर, बुधवार- काल भैरव अष्टमी
20 नवंबर, रविवार- उत्पन्ना एकादशी
21 नवंबर, सोमवार- सोम प्रदोष
22 नवंबर, मंगलवार- शिव चतुर्दशी व्रत
27 नवंबर, रविवार- विनायकी चतुर्थी व्रत
28 नवंबर, सोमवार- विवाह पंचमी
29 नवंबर, मंगलवार- चंपा षष्ठी
30 नवंबर, बुधवार- नंदा सप्तमी
9 नवंबर से शुरू होगा अगहन मास
हिंदू पंचांग का नौवां महीना अगहन होता है, इसे मार्गशीर्ष भी कहते हैं। इसी महीने से शीत ऋतु का आरंभ होता है। भगवान श्रीकृष्ण ने इस महीने को अपना ही स्वरूप बताया है। इस महीने में शंख पूजा का विशेष महत्व है। इसी पवित्र में वृंदावन के निधिवन में भगवान बांके बिहारी प्रकट हुए थे। इसलिए इन दिनों में भगवान श्रीकृष्ण के बांके बिहारी रूप में महापूजा की जाती है और पूरे ब्रज में महोत्सव मनाया जाता है।
चार महीने बाद नींद से जानेंगे भगवान विष्णु
4 नवंबर को देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु इसी दिन 4 महीने के बाद नींद से जागेंगे। इसके बाद ही शुभ कार्यों पर लगी रोक हटेगी यानी विवाह आदि मांगलिक कार्य हो सकेंगे। इस एकादशी को धर्म ग्रंथों में बहुत ही विशेष माना गया है। इस दिन तुलसी विवाह की परंपरा है। इस पर्व से कई मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं।
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