सार
मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को चंपा षष्ठी का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 9 दिसंबर, गुरुवार को है। ये व्रत कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों का प्रमुख पर्व है। यहां पर भगवान शिव के अवतार खंडोबा को किसानों के देवता के रूप में पूजा जाता है।
उज्जैन. चंपा षष्ठी (9 दिसंबर, गुरुवार) ये दिन भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव के मार्कंडेय स्वरूप की पूजा की जाती है। स्कंदपुराण के अनुसार यह पर्व भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। इसलिए इस पर्व को स्कंद षष्ठी भी कहा जाता है। इस दिन कई जगहों पर भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत किया जाता है।
शिवजी को लगाते हैं बैंगन-बाजरे का भोग
चंपा षष्ठी को छठ पर्व भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन भगवान शिव को बैंगन और बाजरा का भोग लगाया जाता है। खासतौर से ये पर्व महाराष्ट्र में मनाया जाता है। ये दिन भगवान शिव के मार्कंडेय स्वरूप को समर्पित है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर नहाने के बाद शिवजी का ध्यान किया जाता है। मंदिर जाकर शिवलिंग की पूजा की जाती है। शिवलिंग पर दूध और गंगाजल चढ़ाया जाता है। इसके बाद फूल, अबीर, बेल पत्र चढ़ाते हैं और देसी खांड का भोग लगाकर बांटा जाता है।
चंपा के फूलों से होती है भगवान कार्तिकेय की पूजा
स्कंद षष्ठी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके व्रत और पूजा का संकल्प लिया जाता है। फिर दक्षिण दिशा की तरफ मुख कर भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। घी, दही और जल से अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद भगवान कार्तिकेय को और पुष्प चढ़ाए जाते हैं। खासतौर से इस दिन भगवान कार्तिकेय को चंपा के फूल चढ़ाए जाते हैं। फिर रात्रि में भूमि पर शयन करना चाहिए। इस दिन तेल का सेवन नहीं किया जाता है और अगले दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है।
इस दिन व्रत और पूजा करने का महत्व
इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से पाप खत्म होते हैं। परेशानियां दूर होती हैं। सुख-शांति भी मिलती है और मोक्ष प्राप्ति होती है। माना जाता है कि चंपा षष्ठी व्रत से प्रसन्नता बनी रहती है। ऐसी मान्यता है कि यह व्रत करने से पिछले जन्म के सारे पाप धुल जाते हैं और जीवन सुखमय हो जाता है। भगवान कार्तिकेय मंगल ग्रह के स्वामी हैं। मंगल को मजबूत करने के लिए इस दिन भगवान कार्तिकेय का व्रत करना चाहिए।