सार
आचार्य चाणक्य ने एक नीति में नए घर से जुड़ी पांच ऐसी बातें बताई हैं, जिनका ध्यान हमेशा रखना चाहिए।
उज्जैन(Ujjain). आचार्य चाणक्य ने एक नीति में नए घर से जुड़ी पांच ऐसी बातें बताई हैं, जिनका ध्यान हमेशा रखना चाहिए। नीति में बताया गया है कि हमें कहां रहना चाहिए और कहां नहीं, किन स्थानों से हमें तुरंत हट जाना चाहिए। जानिए ये नीति
यस्मिन देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बांधव:।
न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्।।
न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक के अनुसार जहां मान-सम्मान न हो, रोजगार न हो, कोई दोस्त या रिश्तेदार न हो, जहां शिक्षा न हो, जहां रहने वाले लोगों में कोई गुण न हो, ऐसी जगहों पर घर नहीं बनाना चाहिए। इन जगहों को तुरंत छोड़ देना चाहिए।
जहां मान-सम्मान न मिले
जिस जगह आपको मान-सम्मान न मिले, कोई आदर न करे, ऐसी जगह पर नहीं रहना चाहिए।
जहां मान-सम्मान न मिले
जिस जगह आपको मान-सम्मान न मिले, कोई आदर न करे, ऐसी जगह पर नहीं रहना चाहिए।
जहां रोजगार न हो
जिस जगह रोजगार का कोई साधन न हो, ऐसी जगह कितनी भी सुंदर क्यों न हो, उसे छोड़ देना चाहिए।
जिस जगह रोजगार का कोई साधन न हो, ऐसी जगह कितनी भी सुंदर क्यों न हो, उसे छोड़ देना चाहिए।
जहां कोई अपना न हो
जिस जगह आपका कोई रिश्तेदार या कोई दोस्त भी न हो उस जगह को तुरंत त्याग देना चाहिए।
जिस जगह आपका कोई रिश्तेदार या कोई दोस्त भी न हो उस जगह को तुरंत त्याग देना चाहिए।
जहां शिक्षा न हो
जिस जगह शिक्षा के साधनों की कमी हो, जहां पढ़ाई-लिखाई को कम महत्व मिलता है, उस जगह को भी छोड़ देना चाहिए।
जिस जगह शिक्षा के साधनों की कमी हो, जहां पढ़ाई-लिखाई को कम महत्व मिलता है, उस जगह को भी छोड़ देना चाहिए।
जहां रहने वाले लोगों में कोई गुण न हो
जिस जगह आपके सीखने के लिए कुछ न हो, जहां के लोगों में गुणों का अभाव हो, उस जगह को भी छोड़ देना चाहिए।
जिस जगह आपके सीखने के लिए कुछ न हो, जहां के लोगों में गुणों का अभाव हो, उस जगह को भी छोड़ देना चाहिए।