सार
दिवाली (14 नवंबर, शनिवार ) पर माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। दीपावली व माता लक्ष्मी से जुड़ी अनेक मान्यताएं व परंपराएं हमारे देश में प्रचलित हैं। इन मान्यताओं व परंपराओं के पीछे जीवन प्रबंधन के कई सूत्र छिपे होते हैं।
उज्जैन. दिवाली (14 नवंबर, शनिवार ) पर माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। दीपावली व माता लक्ष्मी से जुड़ी अनेक मान्यताएं व परंपराएं हमारे देश में प्रचलित हैं। इन मान्यताओं व परंपराओं के पीछे जीवन प्रबंधन के कई सूत्र छिपे होते हैं। लक्ष्मीजी को अनेक चित्रों में भगवान विष्णु के पैरों की ओर बैठा दिखाया जाता है। इसके पीछे भी लाइफ मैनेजमेंट के सूत्र छिपे हैं। जानिए इन सूत्रों के बारे में...
इसलिए विष्णुजी के पैरों की ओर बैठती हैं माता लक्ष्मी...
- हम सभी ने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के कई चित्र देखें हैं। अनेक चित्रों में भगवान विष्णु को बीच समुद्र में शेषनाग के ऊपर लेटे और माता लक्ष्मी को उनके चरण दबाते हुए दिखाया जाता है।
- माता लक्ष्मी यूं तो धन की देवी हैं तो भी वे भगवान विष्णु के चरणों में ही निवास करती हैं ऐसा क्यों? इसका कारण हैं कि भगवान विष्णु कर्म व पुरुषार्थ का प्रतीक हैं और माता लक्ष्मी उन्हीं के यहां निवास करती हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी पीछे नहीं हटते और कर्म व अपने पुरुषार्थ के बल पर विजय प्राप्त करते हैं जैसे कि भगवान विष्णु।
- जब भी अधर्म बढ़ता है तब-तब भगवान विष्णु अवतार लेकर अधर्मियों का नाश करते हैं और कर्म का महत्व दुनिया को समझाते हैं। इसका सीधा-सा अर्थ यह है कि केवल भाग्य पर निर्भर रहने से लक्ष्मी (पैसा) नहीं मिलता।
- धन के लिए कर्म करने की आवश्यकता पड़ती है, साथ ही हर विपरीत परिस्थिति से लड़ने का साहस भी आपने होना चाहिए। तभी लक्ष्मी आपके घर में निवास करेगी।
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