सार

कुछ लोग हमेशा अपनी परेशानियों का रोना रोते रहते हैं। उनके पास बात करने के लिए इसके अलावा और कोई विषय ही नहीं रहता। ऐसा लगता है कि जैसे पूरी दुनिया की समस्याएं उन्हीं के साथ हैं। इसके कारण लोग उनसे दूर भागने लगते हैं।

उज्जैन. जो लोग अपनी परेशानियों का रोना सबके आगे रोते रहते हैं, उनका सामाजिक जीवन नष्ट हो जाता है। यहां तक कि उनका पारिवारिक जीवन भी इसके कारण प्रभावित होने लगता है। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है हमें परेशानियों के बारे में लगातार नहीं सोचना चाहिए, नहीं तो इसके कारण हमारे जीवन में कई विकार उत्पन्न हो सकते हैं।

जब प्रोफेसर ने स्टूडेंट्स से पूछा ये सवाल
एक प्रोफेसर कक्षा में दाखिल हुए। उनके हाथ में पानी से भरा एक गिलास था। उन्होंने उसे बच्चों को दिखाते हुए पूछा, “यह क्या है?” 
छात्रों ने उत्तर दिया, “गिलास।” 
प्रोफेसर ने दोबारा पूछा, “इसका वजन कितना होगा ?” 
उत्तर मिला, “लगभग 100-150 ग्राम।” 
उन्होंने फिर पूछा, “अगर मैं इसे थोड़ी देर ऐसे ही पकड़े रहूं तो क्या होगा ?” 
छात्रों ने जवाब दिया, “कुछ नहीं।” 
प्रोफेसर ने दोबारा प्रश्न किया, “अगर मैं इसे एक घण्टे पकड़े रहूं तो ?” 
छात्रों ने उत्तर दिया, “आपके हाथ में दर्द होने लगेगा।” 
उन्होंने फिर प्रश्न किया, “अगर मैं इसे सारा दिन पकड़े रहूं तो क्या होगा”? 
तब छात्रों ने कहा, “आपकी नसों में तनाव हो जाएगा। नसें संवेदनशून्य हो सकती हैं। जिससे आपको लकवा हो सकता है।” 
प्रोफेसर ने कहा, “बिल्कुल ठीक। अब यह बताओ क्या इस दौरान इस गिलास के वजन में कोई फर्क आएगा ?” 
जवाब था कि नहीं। तब प्रोफेसर बोले, “यही नियम हमारे जीवन पर भी लागू होता है। यदि हम किसी समस्या को थोड़े समय के लिए अपने दिमाग में रखते हैं। तो कोई फर्क नहीं पड़ता। 
लेकिन अगर हम देर तक उसके बारे में सोचेंगे तो वह हमारे दैनिक जीवन पर असर डालने लगेगी। हमारा काम और पारिवारिक जीवन भी प्रभावित होने लगेगा। इसलिए सुखी जीवन के लिए आवश्यक है कि समस्याओं का बोझ अपने सिर पर हमेशा नहीं लादे रखना चाहिए। समस्याएं सोचने से नहीं हल होतीं। सोने से पहले सारे समस्यायुक्त विचारों को बाहर रख देना चाहिए। इससे आपको अच्छी नींद आएगी और आप सुबह तरोताजा रहेंगें।

लाइफ मैनेजमेंट
समस्याओं को लेकर अधिक परेशान नहीं होना चाहिए। इससे हमारा नुकसान ही होता है। अधिक समय तक समस्याओं के बारे में सोचते रहेंगे तो इसके हमारे पारिवारिक जीवन पर भी नकारात्मक असर होगा।
 

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