सार
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि पर भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने का विधान है। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान चित्रगुप्त यमराज के सहायक हैं और हर मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब रखते हैं।
उज्जैन. भगवान चित्रगुप्त को कायस्थ समाज का आराध्य देव भी माना जाता है। इस बार 30 मार्च, मंगलवार को इनकी पूजा की जाएगी। इस विधि से करें इनकी पूजा…
- मंगलवार की सुबह पूजा स्थान को साफ करने के बाद वहां एक साफ कपड़ा बिछा कर भगवान चित्रगुप्त का चित्र स्थापित करें।
- इसके बाद दीपक जलाकर भगवान चित्रगुप्त को चन्दन, रोली, हल्दी, चावल आदि चीजें चढ़ाएं।
- इसके बाद फल, मिठाई, पान सुपारी और दूध, घी, अदरक, गुड़ और गंगाजल से बने पंचामृत का भोग लगाएं।
- अब परिवार के सभी सदस्य अपनी किताब, कलम की पूजा कर चित्रगुप्त जी के सामने रख दें और ये मंत्र बोलें-
मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।
लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।
- इसके बाद एक सफेद कागज पर स्वस्तिक बनाकर उस पर अपनी आय और व्यय का विवरण देकर उसे चित्रगुप्त जी को अर्पित कर पूजन करें।
चित्रगुप्त इस तरह रखते हैं मनुष्यों के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब
- गरुड़ पुराण के अनुसार, हर मनुष्य के आस-पास श्रवण नामक गण रहते हैं। ये किसी को दिखाई नहीं देते। ये स्वर्गलोक, मृत्युलोक, पाताललोक आदि में भ्रमण करते हैं और मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों को देखते हैं।
- जब यमदूत किसी आत्मा को यमलोक ले जाते हैं तो सबसे पहले वे यमपुरी के द्वार पर स्थित द्वारपाल को इसकी सूचना देते हैं। द्वारपाल चित्रगुप्त को बताते हैं और चित्रगुप्त जाकर यमराज को कहते हैं।
- तब यमराज चित्रगुप्त से उस पापात्मा के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब पूछते हैं। तब चित्रगुप्त श्रवण नाम के गणों से उस पापात्मा के विषय में जानकारी लेते हैं। इस संसार में जो प्राणी अच्छे या बुरे कर्म सबके सामने या गुप्त रूप से करते हैं, उसको श्रवण नाम के देवगण चित्रगुप्त से कहते हैं।
- व्रत, दान, सत्यपालन आदि से कोई भी पुरूष श्रवण को प्रसन्न करे तो श्रवण गण उस मनुष्य को स्वर्ग तथा मोक्ष देने वाले हो जाते हैं। सत्य बोलने वाले धर्मराज के श्रवण पापी पुरुषों के पाप को जानकर यमराज से कह देते हैं, उन पर विचार करने के बाद ही यमराज पापियों को दंड देते हैं।