सार
इस बार माघी पूर्णिमा 9 फरवरी, रविवार को है। माघी पूर्णिमा पर तीर्थ की नदियों में स्नान का महत्व है, खासतौर पर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के संगम तट पर स्नान का विशेष महत्व है। यहां माघ में कल्पवास की परंपरा है।
उज्जैन. एक महीने तक हजारों लोग संगम किनारे रहकर व्रत और रोज गंगा में स्नान करते हैं। माघ मास की पूर्णिमा पर चंद्रमा मघा नक्षत्र में होता है तथा सिंह राशि में स्थित होता है इसलिए यह मास माघ कहलाता है।
इसलिए खास है ये तिथि
1. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इसलिए इस दिन गंगाजल में स्नान, आचमन या उसका स्पर्श मात्र भी पुण्य फलदायक होता है।
2. मान्यता है कि माघी पूर्णिमा पर देवता भी रूप बदलकर गंगा स्नान के लिए प्रयाग आते हैं। इसलिए इस तिथि का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है।
3. एक मान्यता ये भी है कि जो व्यक्ति इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
4. जो श्रद्धालु तीर्थराज प्रयाग में एक मास तक कल्पवास करते हैं। माघी पूर्णिमा पर उनके व्रत का समापन होता है।
5. सभी कल्पवासी माघी पूर्णिमा पर माता गंगा की आरती पूजन करके साधु संन्यासियों और ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं। बची हुई सामग्री का दान कर देवी गंगा से फिर बुलाने का निवेदन कर अपने घर जाते हैं।
6. कहते हैं कि माघ पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में नदी स्नान करने से रोग दूर होते हैं। इस दिन तिल और कंबल का दान करने से नरक लोक से मुक्ति मिलती है।