सार

25 जुलाई को श्रावण मास के दूसरे सोमवार पर मध्य प्रदेश के उज्जैन में भगवान महाकाल की दूसरी सवारी शाही ठाठ-बाट से निकली। सवारी में भगवान श्री महाकालेश्वर चांदी की पालकी में चन्द्रमौलेश्वर के रूप में भक्तों को दर्शन देने नगर के प्रमुख मार्गों पर निकले।

उज्जैन. मध्य प्रदेश के उज्जैन में सावन के दूसरे सोमवार को भगवान महाकाल (Mahakal Sawari Ujjain live) की सवारी बड़े ही धूम-धाम से निकली। इस दौरान हजारों भक्त ने पलक-पावड़े बिछाकर अपने राजा के दर्शन किए। पालकी में चंद्रमौलेश्वर और हाथी पर भगवान महाकाल का मनमहेश रूप दिखाई दिया। सवारी निकलने से पहले कोटितीर्थ कुंड के पास स्थित सभामंडप में भगवान की पूजा की गई। इसके बाद भगवान श्रीमहाकाल पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकले। मंदिर के मुख्य द्वार पर ही सशस्त्र पुलिस बल के जवान भगवान को सलामी दी। प्रमुख मार्गों से हुए हुए पालकी रामघाट पर पहुंची, यहां दत्त अखाड़ा की ओर से पालकी का पूजन किया गया। इसके बाद परंपरागत मार्गों से होते हुए सवारी ने पुन: मंदिर में प्रवेश किया।  

महाकाल में उमड़ा जनसैलाब
श्रावण मास के चलते महाकाल दर्शनों के लिए सोमवार को भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। ऐसे में महाकाल मंदिर की ओर जाने वाले मार्गों पर जाम लगा हुआ है। भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने दर्शन व्यवस्था बदलकर कार्तिकेय मंडपम की ऊपरी मंजिल से दर्शन कराने के बाद श्राद्धालुओं को निर्गम द्वार से बाहर निकाला। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मंदिर प्रशासन ने प्रोटोकाल से 100 रूपए की रसीद और 250 रूपए शीघ्र दर्शन टिकट बंद कर दिए है। मंदिर प्रशासन का प्रयास है कि श्रद्धालु तत्काल दर्शन के बाद निर्गम से बाहर हो सकें।

12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरे हैं महाकाल
वैसे तो हमारे देश में भगवान शिव के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इन सभी में द्वादश ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व है। इन 12 ज्योतिर्लिंगों की कथा शिव महापुराण में भी बताई गई है। महाकाल ज्योतिर्लिंग इनमें से तीसरे स्थान पर आता है। ये एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग हैं इसलिए इसका विशेष महत्व है। यहां रोज सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व प्रसिद्ध है। सावन में प्रत्येक सोमवार को भादौ के 2 सोमवार को भगवान महाकाल सवारी में बैठकर अपनी प्रजा का हाल-चाल जानने बाहर निकलते हैं।


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