सार
6 अप्रैल, सोमवार को महावीर स्वामी की जयंती है। महावीर स्वामी जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान श्रीआदिनाथ की परंपरा में चौबीसवें तीर्थंकर माने गए हैं। महावीर स्वामी ने अहिंसा परमो धर्म सूत्र दिया।
उज्जैन. 6 अप्रैल, सोमवार को महावीर स्वामी की जयंती है। महावीर स्वामी जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान श्रीआदिनाथ की परंपरा में चौबीसवें तीर्थंकर माने गए हैं। महावीर स्वामी ने अहिंसा परमो धर्म सूत्र दिया। महावीर स्वामी के जीवन के कई ऐसे प्रसंग हैं, जिनमें सुख-शांति पाने के सूत्र बताए गए हैं। यहां
जानिए एक ऐसा ही प्रसंग...
- चर्चित प्रसंग के अनुसार एक दिन किसी वन में महावीर स्वामी तप कर रहे थे। उसी वन में कुछ चरवाहे अपनी गाय और बकरियां चराने आए हुए थे। सभी चरवाहे अशिक्षित थे, वे तपस्या के बारे में कुछ भी जानते नहीं थे।
- चरवाहों ने महावीर स्वामी को बैठे हुए देखा। वे नहीं जानते थे कि महावीर तप कर रहे हैं। चरवाहों ने महावीरजी के साथ मजाक करने लगे, लेकिन स्वामीजी अपने तप में मग्न थे, चरवाहों की बातों से उनका ध्यान नहीं टूटा।
- कुछ ही समय में आसपास के गांव में ये बात फैल गई। गांव में कुछ विद्वान भी थे जो महावीर स्वामी को जानते थे। वे सभी तुरंत ही वन में उस जगह पहुंच गए, जहां महावीरजी तप कर रहे थे।
- जब वहां लोगों की भीड़ हो गई तो स्वामीजी ने अपनी आंखें खोली। गांव के विद्वान लोग चरवाहों की गलती पर माफी मांगने लगे। लोगों ने स्वामीजी के लिए वहां एक कमरा बनवाने की बात कही।
- जिससे की कोई उनकी साधना में बाधक न बन सके। भगवान महावीर ने सभी की बातें शांति से सुनी। उन्होंने कही का ये सभी चरवाहे भी मेरे अपने ही हैं।
- छोटे-छोटे बच्चे अपने माता-पिता का मुंह नोचते हैं, मारते हैं, इससे परेशान होकर माता-पिता बच्चों से नाराज नहीं होते हैं। मैं इन चरवाहों से नाराज नहीं हूं।
- आपको मेरे लिए कमरा बनवाने की जरूरत नहीं है। कृपया ये धन गरीबों के कल्याण में खर्च करें।
प्रसंग की सीख
अगर किसी व्यक्ति से अनजाने में कोई गलती हो जाती है तो उस गलती की क्षमा मिल सकती है। अज्ञान की वजह से किए गलत काम करने वाले लोगों को माफ कर देना चाहिए। दूसरों को माफ करने से हमारा मन शांत रहता है और जीवन में सुख बना रहता है।