सार
Manu Smriti: हिंदू धर्म ग्रंथों में लाइफ मैनेजमेंट के अनेक सूत्र बताए गए हैं। इन बातों को ध्यान में रखा जाए तो अनेक परेशानियों से बचा जा सकता है। मनु स्मृति भी इन ग्रंथों में से एक है। इस ग्रंथ में लाइफ मैनेजमेंट के अनेक सूत्रों के बारे में बताया गया है।
उज्जैन. समाज को सही दिशा देने में धर्म ग्रंथों का खास योगदान है। हिंदू धर्म में अनेक ग्रंथ हैं जैसे महाभारत, रामायण आदि। इसके अलावा मनु स्मृति में भी जीवन प्रबंधन से जुड़े कई सूत्रों के बारे में बताया गया है। मनु स्मृति (Manu Smriti) की कुछ नीतियों का पालन करके मनुष्य जीवन में कई लाभ ले सकता है। मनुस्मृति के अक श्लोक के अनुसार, व्यक्ति अगर अपनी इंद्रियों को वश में रखे तो वह कई परेशानियों से बच सकता है। मनुस्मृति के इस श्लोक से इसके बारे में अच्छी तरह समझा जा सकता है-
इन्द्रियाणां प्रसड्गेन दोषमृच्छत्यसंशयम्।
संनियम्य तु तान्येव ततः सिद्धिं नियच्छति।।
अर्थात- शब्द (मुंह), स्पर्श (हाथ), रूप (आंखें), रस (जिव्हा, जुबान), और गन्ध (नाक)- इन इन्द्रियों के आसक्त (वश) में होकर मनुष्य अवश्य ही दोष का भागी हो जाता है।
1. सोच-समझकर बोलें
मनु स्मृति के अनुसार, आपकी बोली गई बातें ही आपकी शत्रु बन जाती हैं। कई बार आप गुस्से में कुछ ऐसा बोल देते हैं जिसकी वजह से लोग आपके दुश्मन बन जाते हैं। इसका नुकसान कई तरीकों से चुकाना पड़ सकता है। इसलिए मनु स्मृति में कहा गया है कि अपनी वाणी पर हमेशा नियंत्रण रखना चाहिए। हमारी छोटी सी बात बड़े दुख का कारण बन सकती है।
2. अपने हाथों पर नियंत्रण रखें
मनु स्मृति के अनुसार, अगर आप परेशानियों से बचना चाहते हैं तो अपने हाथों पर भी पूर्ण रूप से नियंत्रण होना जरूरी है। कई बार हाथों के चलते कई बार ऐसे काम हो जाते हैं, जो हमें नहीं करने चाहिए। इसकी वजह से कई मुसीबतें खड़ीं हो जाती हैं। इसलिए अपने हाथों पर आपका पूरा कंट्रोल होना चाहिए।
3. आंखों को भी रखें ध्यान
हम क्या देखें और किस भाव से देखें, इस बात का निर्णय हमें अपनी बुद्धि से लेना है। जब इंसान बिना विवेक के अपनी आंखों का उपयोग करता है तो, ऐसी स्थिति में वह सही-गलत की पहचान नहीं कर पाता और कई बार दोष का भागी भी बन जाता है। ये स्थिति कई बार हमारे लिए घातक साबित हो सकती है।
4. अपने जिव्हा पर रखें कंट्रोल
जिव्हा का संबंध स्वाद से है। जिव्हा की इच्छा पूरी करने के लिए कई बार लोगों को गलत काम भी करना पड़ते हैं। इसलिए कहा जाता है कि कि जिसने अपनी जिव्हा पर नियंत्रण कर लिया, उसका जीवन सुधर गया और जो जिव्हा के अधीन हो गया, उसके जीवन में परेशानियां बनी रहेंगी।
5. नाक पर नियंत्रण होना जरूरी
नाक हमारी पांच इंद्रियों में बहुत महत्वपूर्ण है। सांस लेने के अलावा यह सूंघने का भी काम करती है। इसी से इच्छाएं जागृत होती हैं और उन इच्छाओं की पूर्ति के लिए मनुष्य गलत काम करने से भी नही हिचकता। इसलिए कहा जाता है कि सुखी जीवन के लिए अपनी हर इंद्री पर आपका नियंत्रण होना जरूरी है।
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