सार

किसी-न-किसी वजह से दुनियाभर में काफी लोग मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं। तनाव की वजह से दैनिक कामों में भी मन नहीं लग पाता है। मन शांत करने और एकाग्रता बढ़ाने के लिए रोज सुबह कुछ देर ध्यान करना चाहिए। ध्यान करने से नकारात्मक विचार खत्म होते हैं, सकारात्मकता और पवित्रता बढ़ती है। नियमित रूप से ध्यान करते रहने से स्वास्थ्य को कई अन्य लाभ भी मिलते हैं।

उज्जैन. किसी-न-किसी वजह से दुनियाभर में काफी लोग मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं। पूजा-पाठ करते हैं, लेकिन मन इधर-उधर भटकते रहता है। ऐसी पूजा करने से कोई लाभ नहीं मिलता है। मन शांत करने और एकाग्रता बढ़ाने के लिए रोज सुबह कुछ देर ध्यान करना चाहिए। ध्यान करने से नकारात्मक विचार खत्म होते हैं, सकारात्मकता और पवित्रता बढ़ती है। नियमित रूप से ध्यान करते रहने से स्वास्थ्य को कई अन्य लाभ भी मिलते हैं। पूजा-पाठ में भी मन लग पाता है। मंत्र जाप भी पूरी एकाग्रता के साथ कर पाते हैं।

कब और कहां करें ध्यान?
ध्यान करने के लिए सबसे अच्छा समय सुबह का ही रहता है। अगर सुबह नहीं कर पा रहे हैं तो दिन में कभी भी किसी शांत स्थान पर ध्यान किया जा सकता है। मेडिटेशन के लिए साफ और स्वस्थ जगह का चयन करना चाहिए।

किस आसन में बैठें?
ध्यान करते समय पद्मासन में बैठने की दिक्कत होती है तो सुखासन की स्थिति में आलथी-पालथी मारकर भी बैठ सकते हैं। मेडिटेशन के समय सुविधाजनक आसन में बैठना चाहिए। अलग बैठने में किसी तरह की परेशानी होगी तो ध्यान नहीं कर पाएंगे।

खाने के बाद या खान से पहले कब करें ध्यान?
खाने से पहले जब भूख नहीं लग रही हो, उस समय ध्यान करना ज्यादा अच्छा रहता है। खाने के बाद आलस्य बढ़ता है। नींद आ सकती है। ऐसी स्थिति में ध्यान नहीं कर सकते। अगर बहुत ज्यादा भूख लग रही है तब भी ध्यान नहीं करना चाहिए। भूख की वजह से मन एकाग्र नहीं हो पाएगा, ध्यान करने में दिक्कतें आएंगी। खाने के बाद कम से कम दो घंटे तक ध्यान न करें। इसके बाद ही ध्यान करें।

ध्यान करने से पहले क्या-क्या करें?
ध्यान करने से पहले कुछ देर घूमना चाहिए। कुछ हल्की एक्सरसाइज कर सकते हैं। जिससे शरीर की जकड़न दूर हो जाए और शरीर हल्का महसूस करे।

मेडिटेशन करते समय कौन-कौन सी सावधानियां रखें?
मेडिटेशन करते समय किसी भी तरह की बातें नहीं सोचना चाहिए। विचार का प्रवाह जारी रहेगा तो ध्यान नहीं हो पाएगा। आंखें बंद रखें, सांस सामान्य स्थिति में लेते और छोड़ते रहना चाहिए। शुरू-शुरू ध्यान करते समय विचारों का प्रवाह नहीं रुक पाता है। लगातार अभ्यास करते रहने से विचारों को रोककर ध्यान करने में सफलता मिल सकती है।