सार

Onam 2022: ओणम दक्षिण भारत मुख्य रूप से केरल का प्रमुख त्योहार है। इस बार ये पर्व 8 सितंबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस त्योहार से जुड़ी कईं मान्यताएं और परंपराएं हैं जो काफी दिलचस्प हैं। 
 

उज्जैन. भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। यहां हर प्रदेश का एक मुख्य त्योहार होता है जो वहां की संस्कृति की पहचान होता है। ऐसा ही एक त्योहार है ओणम (Onam 2022)। वैसे तो ये पर्व पूरे देश में मलयाली समाज द्वारा मनाया जाता है, लेकिन केरल में इसकी भव्यता और रौनक देखते ही बनती है। ये केरल के मुख्य त्योहारों में से एक है। इस बार ये उत्सव 8 सितंबर, गुरुवार को सेलिब्रेट किया जाएगा। ये त्योहार 10 दिनों तक मनाया जाता है। हर दिन का अपना अलग महत्व होता है। अंतिम दिन सभी लोग इकट्ठा होकर जश्न मनाते है और खास तरह के व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं। आगे जानिए इस फेस्टिवल से जुड़ी हर खास बातें

क्यों मनाते हैं ओणम, क्या है इसकी कथा? (Why celebrate Onam, know the story)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन समय में दक्षिण भारत में दैत्यों के राजा बलि का शासन था। एक बार उन्होंने स्वर्ग पर अधिकार करने के लिए विशाल यज्ञ का आयोजन किया। तब देवताओं की सहायता के लिए भगवान विष्णु वामन रूप में राजा बलि के पास गए और उनसे तीन पग भूमि दान में मांगी। बलि ने दान देना स्वीकार किया। भगवान वामन ने विशाल रूप धारण कर एक पग में धरती और दूसरे पग में स्वर्ग लोक नाप लिया। तब बलि के कहने पर उन्होंने तीसरा पैर उसके मस्तक पर रखा तो वह सुतल लोक में चला गया। बलि की दानवीरता देखकर भगवान ने उसे वहां का राजा बना दिया। मान्यता है कि इसी राजा बलि साल में एक बार अपनी प्रजा का हाल जानने पृथ्वी पर आते हैं। उनके आगमन की खुशी में ही यह ओणम मनाया जाता है।

10 दिन तक मनाया जाता है ये पर्व? (What happens in Onam for 10 days)
ओणम पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है। हर दिन एक विशेष परंपरा निभाई जाती है। पहले दिन को अथम कहते हैं, इसी दिन से ओणम की शुरुआत होती है। इस दौरान खरीदी का भी विशेष महत्व है। लोग नए कपड़े, गहन आदि खरीदते हैं और अपने घर को सजाते हैं। महिलाएं इस दौरान एक तरह से अचार-पापड़ बनाती हैं। इसी दौरान बोट रेस का आयोजन भी किया जाता है, जिसे वल्लमकली कहा जाता है। ओणम के आठवें दिन भगवान विष्णु के अवतार वामन और राजा महाबलि की मिट्टी की मूर्तियां बनाई जाती है। नौवें दिन राजा बलि के लिये फूलों का गलीचा सजाया जाता है। अंतिम दिन थिरुवोनम का पर्व मनाया जाता है। इस दिन विशेष प्रकार का भोजन तैयार किया जाता है। घर-परिवार के बीच लोग दावतों का आनंद लेते हैं। इस तरह 10 दिनों तक चलने वाला ये पर्व समाप्त होता है। 

इसके बिना अधूरा है ये पर्व (what is onampukkalam)
राजा बलि के आने की खुशी में महिलाओं द्वारा घर के बाहर आकर्षक ओणमपुक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाई जाती है। ये रांगोली रोज बनाई जाती है। खास बात ये है कि दिन-प्रतिदिन इसका आकार बढ़ता जाता है और अंतिम दिन इसका सबसे विशाल स्वरूप देखने को मिलता है। ये ओणम की प्रमुख परंपराओं में से एक है। इसके बिना ओणम पर्व अधूरा माना जाता है।

बनाए जाते हैं इतने सारे पकवान (What is Sadya Thali?)
ओणम के अंतिम दिन भोजन में खास पकवान बनाए जाते हैं। इसे साद्या थाली कहते हैं। इसमें लगभग 26 अलग-अलग तरह के पकवान होते हैं, जो पूरी तरह से शाकाहारी होते हैं। इस दिन केलों के पत्तों पर पारंपरिक रूप में भोजन किया जाता है। साद्या थाली में सांबर, उपेरी, शर्करा वरही, नारंगा करी, मांगा करी, रसम, इंजी करी, चावल, ओलन, कालन, चेन यानी सूरन करी, परिप्पु करी, पच्चड़ी, पुलुस्सरी, एलिस्सरी, मोर यानी खट्टा रायता, अवियल, तोरन और पायसम आदि व्यंजन प्रमुख रूप से होते हैं।

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