सार

श्रीरामचरित मानस में लाइफ मैनेजमेंट के अनेक सूत्र बताए गए हैं। ये सूत्र आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। 

उज्जैन. श्रीरामचरित मानस के एक प्रसंग में अंगद ने रावण को बताया है कि वो कौन-कौन से 14 अवगुण है, जिनके होने पर जीवित व्यक्ति को भी मृतक के समान ही समझना चाहिए। जानिए कौन-से हैं वो 14 अवगुण…

1. कामवश
जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होतीं और जो प्राणी सिर्फ अपनी इच्छाओं के अधीन होकर ही जीता है, वह मृत समान है।

2. वाम मार्गी
जो व्यक्ति संसार की हर बात में नकारात्मकता खोजता हो, नियमों, परंपराओं और लोक-व्यवहार के खिलाफ चलता हो, वह वाम मार्गी कहलाता है। ऐसे काम करने वाले लोग मृत समान माने गए हैं।

3. कंजूस
जो व्यक्ति धर्म के कार्य करने में, आर्थिक रूप से किसी कल्याण कार्य में हिस्सा लेने में हिचकता हो, दान करने से बचता हो, ऐसा आदमी भी मृत समान ही है।

4. अति दरिद्र
जो व्यक्ति धन, आत्मविश्वास, सम्मान और साहस से हीन हो, वो भी मृत ही है। अत्यंत दरिद्र भी मरा हुआ है। दरिद्र व्यक्ति को दुत्कारना नहीं चाहिए, क्योंकि वह पहले ही मरा हुआ होता है बल्कि गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए।

5. विमूढ़
जिसके पास विवेक, बुद्धि नहीं हो, जो खुद निर्णय न ले सके, ऐसा व्यक्ति भी जीवित होते हुए मृत के समान ही है।

6. अजसि
जो घर, परिवार, कुटुम्ब, समाज, नगर या राष्ट्र, किसी भी इकाई में सम्मान नहीं पाता है, वह व्यक्ति मृत समान ही होता है।

7. सदा रोगवश
जो व्यक्ति हमेशा बीमार रहता है, उसे भी मृत ही समझना चाहिए, क्योंकि जीवित होते हुए भी रोगी व्यक्ति स्वस्थ जीवन के आनंद से वंचित रह जाता है।

8. अति बूढ़ा
अत्यंत वृद्ध व्यक्ति भी मृत समान होता है, क्योंकि वह अपने छोटे-छोटे कामों के लिए अन्य लोगों पर आश्रित हो जाता है।

9. सतत क्रोधी
जिस व्यक्ति का अपने मन और बुद्धि पर नियंत्रण न हो और जो हमेशा गुस्से में रहता है वह जीवित होकर भी जीवित नहीं माना जाता है।

10. अघ खानी
जो व्यक्ति पाप कर्मों से अर्जित धन से अपना और परिवार का पालन-पोषण करता है, वह व्यक्ति भी मृत समान ही है।

11. तनु पोषक
ऐसा व्यक्ति जो पूरी तरह से आत्मसंतुष्टि और खुद के स्वार्थों के लिए ही जीता है, संसार के किसी अन्य प्राणी के लिए उसके मन में कोई संवेदना न हो तो ऐसा व्यक्ति भी मृत समान है।

12. निंदक
जिसे दूसरों में सिर्फ कमियां ही नजर आती हैं, जो व्यक्ति किसी के अच्छे काम की भी आलोचना करने से नहीं चूकता, ऐसा व्यक्ति मृत समान होता है।

13. विष्णु विमुख
जो व्यक्ति ये सोच लेता है कि कोई परम तत्व है ही नहीं तथा हम जो करते हैं वही होता है, संसार हम ही चला रहे हैं, जो परम शक्ति में आस्था नहीं रखता है, ऐसा व्यक्ति भी मृत माना जाता है।

14. संत और वेद विरोधी
जो संत, ग्रंथ, पुराण और वेदों का विरोधी है, वह भी मृत समान होता है।