सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Parliamentary Constituency Varanasi) के दौरे पर हैं। इस दौरान पुलिस-प्रशसन की ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं। अपने दौरे में मोदी कई महती योजनाओं की सौगात अपने संसदीय क्षेत्रवासियों को देंगे।
 

उज्जैन. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने वाराणसी दौरे के दौरान कई योजनाओं का लोकार्पण करेंगे। अक्षय पात्र किचन (Akshaya Patra Kitchen) भी इन योजनाओं में से एक है। ये एक तरह का आधुनिक किचन है जो प्रतिदिन लाखों स्कूली बच्चों को मिड डे मिल तैयार करेगा। अर्दली बाजार (Orderly Bazaar Varanasi ) के LT कॉलेज कैंपस (LT College Campus Varanasi) में यह किचन तैयार किया गया है। 24 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस किचन का एरिया 15 हजार वर्गमीटर है। इस किचन में अत्याधुनिक मशीनों से कुछ ही मिनटों में हजारों बच्चों के लिए  स्वादिष्ट और सेहतमंद भोजन बनाने की योजना है। इस किचन का नाम अक्षय पात्र पुराणों से लिया गया है। महाभारत (Mahabharata) में भी अक्षय पात्र का वर्णन मिलता है। आगे जानिए क्या था अक्षय पात्र, ये किसने किसे दिया था?

जब पांडवों के साथ साधु-संत भी जाने लगे वन में 
महाभारत के अनुसार, जब पांडव जुएं में अपना राज-पाट हार गए और हस्तिनापुर छोड़कर वनवास को जाने लगे तो बहुत से साधु-संत भी उनके साथ वन में जाने को तैयार हो गए। ये देख युधिष्ठिर चिंतित हो गए और सोचने लगे कि वन में रहते हुए मैं इनका पालन-पोषण कैसे करुंगा। ये सोचकर युधिष्ठिर ने साधुओं को अपने-अपने स्थान पर जाने के लिए आग्रह किया, लेकिन साधु-संत पांडवों के साथ वन जाने के लिए अड़े रहे और कहने लगे कि हम स्वयं अपना भरण-पोषण कर लेंगे।

पुरोहित धौम्य ने सुझाया उपाय
साधु-संतों को वन में साथ आते देख युधिष्ठिर अपने पुरोहित धौम्य के पास पहुंचे और उन्हें अपनी समस्या के बारे में बताया। पुरोहित धौम्य ने युधिष्ठिर को सूर्यदेव की उपासना करने का सूझाव दिया और कहा कि “सूर्यदेव ही संसार के सभी प्राणियों का भरण-पोषण करते हैं। वे ही आपकी सहायता कर सकते हैं।” पुरोहित धौम्य के कहने पर युधिष्ठिर सूर्य, अर्यमा, भग, त्वष्टा, पूषा, रवि इत्यादि एक सौ आठ नामों से सूर्यदेव की पूजा करने लगे।

सूर्यदेव ने युधिष्ठिर को दिया अक्षय पात्र
युधिष्ठिर की पूजा से प्रसन्न होकर भगवान सूर्यदेव प्रकट हुए। युधिष्ठिर ने सूर्यदेव को अपनी परेशानी बताई और उसके निदान के लिए प्रार्थना की। तब सूर्यदेव ने प्रसन्न होकर कहा कि “धर्मराज, मैं तुम्हारी आराधना से प्रसन्न हूं। मैं तुम्हें बारह वर्षों तक अन्न देता रहूंगा।’‘ ऐसा कह कर उन्होंने युधिष्ठिर को अक्षय पात्र (बर्तन) दिया और कहा कि “जब तब द्रौपदी भोजन नहीं कर लेगी, तब तक इस बर्तन का अन्न कभी खत्म नहीं होगा, इससे आप कितने भी लोगों को भोजन करवाने में सक्षम रहेंगे।“ इस तरह वनवास में रहते हुए भी पांडव अक्षय पात्र के माध्यम से  प्रतिदिन हजारों साधु-संतों को भोजन करवाते थे।


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