सार

Pongal 2023: भारत को ऐसे ही त्योहारों का देश नहीं कहा जाता, इसके पीछे कई कारण हैं। यहां हर त्योहार देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रांति भी एक ऐसा ही त्योहार है। दक्षिण भारत में इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं। 
 

उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इसी दिन से सूर्य उत्तरी ध्रुव की ओर गति करने लगता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से इस दिन मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) पर्व मनाया जाता है, जो इस बार 15 जनवरी, रविवार को है। दक्षिण भारत में मकर संक्रांति का पर्व पोंगल (Pongal 2023) के रूप में 4 दिनों तक मनाया जाता है। इस बार ये त्योहार 15 से 18 जनवरी तक मनाया जाएगा। चारों दिन अलग-अलग परंपराएं निभाई जाती हैं। आगे जानिए पोंगल से जुड़ी खास बातें…


पहले दिन होता है भोंगी पोंगल
पोंगल के पहले दिन को भोंगी पोंगल कहते हैं। इस दिन पूरे घर की साफ-सफाई की जाती है और घर से पुराना सामान बाहर निकाला जाता है। इसके बाद उस पुराने सामान को जलाया जाता है। इसे भोगी जलाना कहते हैं। पोंगल के पहले दिन भगवान इंद्र की पूजा का विधान हैं।


दूसरे दिन होता है सूर्य पोंगल
पोंगल के दूसरे दिन को सूर्य पोंगल कहते हैं। नाम से ही पता चलता है कि इस दिन सूर्यदेव की उपासना विशेष रूप से की जाती है। इसके पीछे मान्यता है कि सूर्य के प्रकाश के माध्यम से हमें अनाज और पानी मिलता है। इस दिन सूर्यदेव के प्रति आभार प्रकट किया जाता है। इस दिन सूर्यदेव को विशेष तरह की खीर का भोग लगाया जाता है, जिसे पगल कहा जाता है।


तीसरे दिन को कहते हैं मट्टू 
पोंगल के तीसरे बैल की पूजा की जाती है। बैल को यहां मट्टू कहा जाता है, इसलिए इस दिन को मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है। पोंगल का तीसरा दिन पशुओं के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है क्योंकि पशु ही दक्षिण भारत की जीवन रेखा है। इसके बिना खेती करना संभव नहीं है।


चौथे दिन बनाते हैं रांगोली
पोंगल के दिन घर को साजया जाता है और फूलों से घर के आंगन में रांगोली बनाई जाती है। इस दिन छोटी कन्याओं का पूजन भी किया जाता है, यह पोंगल का आखिरी दिन होता है। इस दिन मित्र और रिश्तेदार एक-दूसरे के घर मिलने जाते हैं और पोंगल की बधाई देते हैं। इस दिन कुछ खास व्यंजन भी बनाए जाते हैं।


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