सार
Raksha Bandhan 2022: रक्षाबंधन भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। लेकिन भारत में एक जगह ऐसी भी है जहां बहनें अपने भाइयों को मौत का श्राप देती हैं। ये परंपरा भाई दूज पर निभाई जाती है।
उज्जैन. बहनें हमेशा भगवान से यही वरदान मांगती हैं कि उनके भाई हमेशा खुश रहें लेकिन छत्तीसगढ़ में एक जगह ऐसी भी जहां बहनें अपने भाई को मरने का श्राप देती हैं। सुनने में ये बात थोड़ी अजीब लगे, लेकिन ये सच है। हालांकि ये एक परंपरा का हिस्सा है। बाद में बहनें एक खास तरीके से इसका प्रायश्चित भी करती हैं। रक्षाबंधन (11 अगस्त, गुरुवार) के मौके पर हम आपको इस परंपरा के बारे में बता रहे हैं, जो कि बहुत ही अजीबो-गरीब है...
यहां निभाई जाती है ये परंपरा
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में एक विशेष समुदाय के लोगों में भाइयों को मरने का श्राप देने की परंपरा है। ये परंपरा भाई दूज पर निभाई जाती है। इस अनोखी परंपरा के अंतर्गत भाई दूज पर सुबह उठते ही बहनें अपने भाइयों को खूब खरी-खोटी सुनाती हैं और मरने का श्राप देती हैं। इसके बाद जीभ पर कांटा चुभा कर प्रायश्चित भी करती हैं। बाद में बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उसकी सुख-समृद्धि की कामना भी करती हैं। ये परंपरा सालों से चली आ रही है।
क्या है इस परंपरा के पीछे की मान्यता?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार यमराज किसी ऐसे व्यक्ति के प्राण लेने आए, जिसकी बहन ने कभी उसे भला-बुरा न कहा हो या कभी कोई श्राप न दिया हो। बहुत खोजने पर यमराज को एक ऐसा व्यक्ति मिल गया, जिसकी बहन ने कभी उसे गाली या श्राप नहीं दिया था क्योंकि बहन उससे बहुत प्रेम करती थी। यमराज उस व्यक्ति के प्राण ले जाने की योजना बनाने लगते हैं। इस बात की भनक उसकी बहन को लग जाती है और वो अपने भाई को बिना वजह खूब गाली व श्राप देती हैं। जिससे यमराज की ये इच्छा पूरी नहीं हो पाती और उन्हें खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ता है।
इसलिए जीभ पर कांटा चुभाती हैं बहनें
अपने भाइयों की प्राण बचाने के लिए बहनें उन्हें गाली और श्राप तो दे देती हैं और इसका प्रायश्चित भी करती हैं। इसके लिए बहनें अपनी जीभ पर रेंगनी (एक प्रकार की स्थानीय वनस्पति) का कांटा चुभाती हैं। श्राप देने एवं जीभ पर कांटा चुभा कर प्रायश्चित करने के पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से भाई-बहन के प्रेम अटूट बना रहता है।
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