सार

रक्षा सूत्र को सामान्य बोलचाल में राखी कहा जाता है, जो वेद के संस्कृत शब्द रक्षिका का अपभ्रंश हैं। इसका अर्थ है- रक्षा करना, रक्षा करने को तत्पर रहना या रक्षा करने का वचन देना। 

उज्जैन. धागा केवल अचेतन वस्तु न होकर सिल्क या सूत के कई तारों को पिरोकर तैयार होता है। यह भावनात्मक एकता का प्रतीक है इसलिए इसे पवित्र माना जाता है। बहन भाई को स्नेह से राखी बंधती है और भाई  अपनी बहन की रक्षा का उत्तरदायित्व स्वीकार करता है। इस बार रक्षाबंधन का पर्व 3 अगस्त, सोमवार को है। रक्षाबंधन का पर्व कैसे मनाया जाए, जानिए-

ऐसे मनाएं रक्षाबंधन का पर्व
- सुबह स्नान आदि करने के बाद घर के किसी पवित्र स्थान को गाय के गोबर से लीप दें या शुद्ध पानी से धो कर पवित्र कर लें। साफ किये गए स्थान पर कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं।
- स्वस्तिक पर तांबे का शुद्ध जल से भरा हुआ कलश रखें। कलश के मुख पर आम के पत्ते फैलाते हुए जमा दें। इन पत्तों पर नारियल रखें। कलश के दोनों ओर आसन बिछा दें। (एक आसन भाई के बैठने के लिए और दूसरा बहन के लिए) - अब भाई-बहन कलश को बीच में रख कर आमने-सामने बैठ जाएं। इसके पश्चात कलश की पूजा करें। फिर भाई के दाहिने हाथ में नारियल तथा सिर पर कपड़ा या टोपी रखें।
- अब भाई को तिलक और चावल लगाएं। इसके बाद भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधें। राखी बांधते समय ये मंत्र बोलें-
ॐ एन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबली
तेन त्वा मनुबधनानि रक्षे माचल माचल।।

- फिर भाई को मिठाई खिलाएं, आरती उतारें और उसकी तरक्की व खुशहाली की कामना करें। भाई राखी बंधवाने के बाद बहन के चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त करे और उपहार दे। इसके बाद घर की प्रमुख वस्तुओं को भी राखी बांधें। जैसे- कलम, झूला, मुख्य द्वार आदि।

रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त
3 अगस्त को सुबह 9.30 तक भद्रा रहेगी। इसके बाद पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी। रक्षाबंधन का विशेष मुहूर्त दोपहर 1.45 से शाम 4.23 तक और शाम 7 बजे से रात 9.11 तक रहेगा।