सार

बॉलीवुड (Bollywood) के सुपर स्टार अजय देवगन (Ajay Devgn)  कुछ दिन पहले केरल स्थित सबरीमला (Sabarimala) मंदिर पहुंचे थे, जहां उन्होंने भगवान अयप्पा (Lord Ayyappa) स्वामी के दर्शन किए थे।

उज्जैन.  पिछलों दिनों बॉलीवुड स्टार अजय देवगन (Ajay Devgn) ने काफी कड़े नियमों का पालन करते हुए सबरीमाला मंदिर के दर्शन किए थे। अब फेसबुक पर उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोग अजय देवगन को अपने कंधों पर लेकर मंदिर की ओर जाते दिखाई दे रहे हैं। इसके बाद से ही अजय देवगन को सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल किया जा रहा है। सबरीमाला मंदिर में दर्शन से पहले कठिन नियमों का पालन करना पड़ता है, जिसे पूरा कर पाना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं है। आगे जानिए शबरीमाला मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें...

ऐसी है सबरीमाला मंदिर में दर्शन की प्रक्रिया...
1.
सबरीमाला मंदिर श्रद्धालुओं के लिए साल में सिर्फ नवंबर से जनवरी तक खुलता है। बाकी महीने इसे बंद रखा जाता है।
2. भक्त पंपा त्रिवेणी में स्नान करते हैं और दीपक जलाकर नदी में प्रवाहित करते हैं। इसके बाद ही सबरीमाला मंदिर जाते हैं।
3. पंपा त्रिवेणी पर भगवान श्रीगणेश की पूजा के बाद ही भक्त चढ़ाई शुरू करते हैं। पहला पड़ाव शबरी पीठम नाम की जगह है। मान्यता है कि यहां पर रामायण काल में शबरी नामक भीलनी ने तपस्या की थी। श्री अय्यप्पा के अवतार के बाद ही शबरी को मुक्ति मिली थी।
4. इसके आगे शरणमकुट्टी नाम की जगह आती है। पहली बार आने वाले भक्त यहाँ पर शर (बाण) गाड़ते हैं।
5. इसके बाद मंदिर में जाने के लिए दो मार्ग हैं। एक सामान्य रास्ता और दूसरा 18 पवित्र सीढ़ियों से होकर। जो लोग मंदिर आने के पहले 41 दिनों तक कठिन व्रत करते हैं वो ही इन पवित्र सीढ़ियों से होकर मंदिर में जा सकते हैं।
6. 18 पवित्र सीढ़ियों के पास भक्तजन घी से भरा हुआ नारियल फोड़ते हैं। इसके पास ही एक हवन कुण्ड है। घृताभिषेक के लिए जो नारियल लाया जाता है, उसका एक टुकड़ा इस हवन कुण्ड में भी डाला जाता है और एक अंश भगवान के प्रसाद के रूप में लोग अपने घर ले जाते हैं।
7. सबरीमाला मंदिर में भगवान की पूजा का एक प्रसिद्ध अंश घी का अभिषेक करना है। श्रद्धालुओं द्वारा लाए गए घी को सबसे पहले एक खास बर्तन में इकट्ठा किया जाता है, फिर उस घी से भगवान का अभिषेक किया जाता है।


मंदिर में दर्शन करने के हैं कठिन नियम...
1.
भक्तों को यहाँ आने से पहले 41 दिन तक समस्त लौकिक बंधनों से मुक्त होकर ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी है।
2. इन दिनों में उन्हें नीले या काले कपड़े ही पहनने पड़ते हैं।
3. गले में तुलसी की माला रखनी होती है और पूरे दिन में केवल एक बार ही साधारण भोजन करना होता है।
4. शाम को पूजा करनी होती है और जमीन पर ही सोना पड़ता है।
5. इस व्रत की पूणार्हूति पर एक गुरु स्वामी के निर्देशन में पूजा करनी होती है।
6. मंदिर यात्रा के दौरान उन्हें सिर पर इरुमुडी रखनी होती है यानी दो थैलियां और एक थैला। एक में घी से भरा हुआ नारियल व पूजा सामग्री होती है तथा दूसरे में भोजन सामग्री। ये लेकर उन्हें शबरी पीठ की परिक्रमा भी करनी होती है, तब जाकर 18 सीढ़ियों से होकर मंदिर में प्रवेश मिलता है।