सार

Mahakal Sawari ujjain: 1 अगस्त को सावन के तीसरे सोमवार पर मध्य प्रदेश के उज्जैन में भगवान महाकाल की तीसरी सवारी शाही ठाठ-बाट से निकली। सवारी में भगवान ने चंद्रमोलेश्वर, मनमहेश और शिव तांडव स्वरूप में दर्शन दिए।

उज्जैन. श्रावण के तीसरे सोमवार को उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर (Mahakal Temple Ujjain) में तड़के 2:30 बजे गर्भ गृह के पट खोले गए और पंचामृत से अभिषेक पूजन किया गया। भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल के मस्तक पर रजत त्रिपुण्ड, सिर पर शेषनाग का रजत मुकुट धारण कर, सुगन्धित पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की गयी। मंदिर में भक्तों की संख्या को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि सवारी में लाखों भक्त बाबा की पालकी के दर्शन करेंगे।

शिव तांडव, मनमहेश और चंद्रमौलीश्वर रूप में महाकाल ने दिए दर्शन
सावन के तीसरे सोमवार को भगवा महाकाल की सवारी परंपरा के अनुसार निकाली गई। पहले पंडितों विधि-विधान से बाबा महाकाल का पूजन किया और शाम 4 बजे पालकी मंदिर प्रांगण से बाहर निकली। यहां सबसे पहले पुलिस सशस्त्र बल ने भगवान महाकाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद पालकी परंपरागत मार्ग से होते हुए पहले क्षिप्रा तट पहुंची। यहां भगवान महाकाल की मां शिप्रा के जल से पूजा हुई। इसके बाद सवारी ने पुन: अपने निर्धारित मार्ग से होते हुए मंदिर परिसर में प्रवेश किया। सवारी में भगवान महाकाल ने शिव तांडव स्वरूप में गरूड़ पर सवार होकर अपने भक्तों को दर्शन दिया। पालकी में श्री चन्द्रमोलीश्वर और हाथी पर श्री मनमहेश विराजित थे। 

महाकाल को अपना राजा मानते हैं उज्जैनवासी
सावन में हर साल प्रत्येक सोमवार को भगवान महाकाल की सवारी निकालने की परंपरा है। इसके पीछे मान्यता है कि बाबा महाकाल इस शहर के राजा हैं और वे सावन मास में अपने भक्तों का हाल-चाल जानने शहर में आते हैं। ये परंपरा मराठा काल में शुरू की गई ताकि लोग अपने राजा का स्वागत कर सकें और भगवान व भक्त के बीच आत्मीय संबंध बना रहे।


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