सार

पाकिस्तान में अनेक हिंदू मंदिर हैं। इनमें कटसराज मंदिर भी एक है। ये मंदिर भगवान शिव का है। 

उज्जैन. कटसराज मंदिर पाकिस्तान के चकवाल गांव से लगभग 40 कि.मी. की दूरी पर कटस नामक स्थान में एक पहाड़ी पर है। इस स्थान से जुड़ी कई मान्यताएं हैं, इसलिए ये हिंदुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। सावन के मौके पर जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें-

यहां रोए थे भगवान शिव
- अपने पिता दक्ष के यहां यज्ञ कुंड में जब सती ने आत्मदाह किया था, तो उनके वियोग में भगवान शिव ने अपनी सुध-बुध खो दी थी।
- भारत की भूमि पर वो जगह आज भी मौजूद है जहां भगवान शिव ने सती को याद करते हुए आंसू बहाए थे।
- उनके आंसुओं से दो कुंड बने, उसमें से एक कुंड का नाम है कटाक्ष कुंड। ये कटाक्ष कुंड और उस जगह बना शिव मंदिर अब विभाजन के बाद पाकिस्तान में है।
- शिव के आंसुओं से जो दूसरा कुंड बना, वो भारत में राजस्थान के पुष्कर तीर्थ में है। इस तरह दोनों जगहों को आपस में गहरा संंबंध है।
- मान्यताओं के अनुसार, कटसराज मंदिर का कटाक्ष कुंड भगवान शिव के आंसुओं से बना है।
- इस कुंड के निर्माण के पीछे एक कथा है। कहा जाता है कि जब देवी सती की मृत्यु हो गई, तब भगवान शिव उन के दुःख में इतना रोए की उनके आंसुओं से दो कुंड बन गए।

पांडवों ने किया था यहां के सात मंदिरों का निर्माण
- कहा जाता है कि यहां के सात मंदिरों का निर्माण पांडवों ने महाभारत काल में किया था। पांडवों ने अपने वनवास के दौरान लगभग 4 साल यहां बिताए थे।
- पांडवों ने अपने रहने के लिए सात भवनों का निर्माण किया था। वहीं भवन अब सात मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
- इस स्थान को लेकर यह भी मान्यता है कि इसी कुंड के तट पर युधिष्ठिर और यक्ष का संवाद हुआ था।