सार
धर्म ग्रंथों में शरद ऋतु में आने वाली पूर्णिमा (Sharad Purnima 2021) बहुत खास मानी गई है। शरद ऋतु में आने के कारण इसे शरद पूर्णिमा कहते हैं। इस तिथि पर चंद्रमा की रोशनी में औषधीय गुण आ जाते हैं।
उज्जैन. शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की चांदनी में खीर रखने और उसे प्रसाद के तौर पर खाने की परंपरा है। इस बार पंचांग भेद होने से शरद पूर्णिमा की तारीख को लेकर देश में कई जगह मतभेद हैं। कुछ कैलेंडर में 19 और कुछ पंचांग के मुताबिक 20 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा।
20 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2021) शास्त्रसम्मत
बीएचयू, ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पाण्डेय के अनुसार, जब अश्विन महीने की पूर्णिमा दो दिन हो तो अगले दिन शरद पूर्णिमा उत्सव मनाना चाहिए। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का भी कहना है कि तिथि भेद वाली स्थिति में जब पूर्णिमा और प्रतिपदा एक ही दिन हो तब शरद पूर्णिमा पर्व मनाना चाहिए। व्रत और पर्वों की तिथि तय करने वाले ग्रंथ निर्णय सिंधु में भी ये ही लिखा है।
काशी विद्वत परिषद के मंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी के मुताबिक पूर्णिमा तिथि 19 अक्टूबर, मंगलवार को शाम 6.45 से शुरू होगी और बुधवार की शाम 7.37 तक रहेगी। इसलिए अश्विन महीने का शरद पूर्णिमा पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाना चाहिए। इस दिन सुबह स्नान-दान और पूजा-पाठ किया जाएगा और रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर रखी जाएगी।
इसी दिन बनता था सोमरस
शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2021) पर औषधियों की ताकत और बढ़ जाती है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की रोशनी में ही सोमलता नाम की औषधि का अर्क निकालकर रस बनाया जाता था जिसे सोमरस कहते हैं। इसी रस को देवता पीते थे। जिससे अमृत तत्व और देवताओं की शक्ति बढ़ती थी।
ये करें शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2021) पर
- शरद पूर्णिमा के दिन ऐरावत पर बैठे इंद्र और महालक्ष्मी की पूजा करने से हर तरह का सुख और समृद्धि मिलती है।
- इस दिन व्रत या उपवास भी करना चाहिए और कांसे के बर्तन में घी भरकर दान करने से कई गुना पुण्य फल मिलता है।
- इस पर्व पर दीपदान करने की परंपरा भी है। रात में घी के दीपक जलाकर मन्दिरों, बगीचों और घर में रखें।
- साथ ही तुलसी और पीपल के पेड़ के नीचे भी रखें। ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए पापों का दोष कम हो जाता है।
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