सार
हिंदू धर्म में मान्यता है कि मरने के बाद व्यक्ति की आत्मा को तब तक मुक्ति नहीं मिलती, जब तक उसका पिंडदान, तर्पण व श्राद्ध आदि नहीं हो जाता है। इन कार्यों के लिए कई प्रमुख तीर्थ स्थान हमारे देश में स्थित हैं। इन्हीं में से एक है महाराष्ट्र (Maharashtra) के खामगांव के निकट स्थित मेघंकर (Meghankar)।
उज्जैन. पितृ पक्ष के 16 दिनों में तीर्थ स्थनों पर लोगों की भीड़ उमड़ती है। दूर-दूर से लोग अपने पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध कर्म करने आते हैं। इन्हीं में से एक है महाराष्ट्र (Maharashtra) के खामगांव के निकट स्थित मेघंकर (Meghankar)। इस स्थान से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं।
ग्रंथों में भी है इस तीर्थ का वर्णन
मेघंकर (Meghankar) तीर्थ साक्षात भगवान जर्नादन का स्वरूप है। यह महाराष्ट्र (Maharashtra) के पास बसे खामगांव से लगभग 75 किमी दूरी पर है। यहां स्नान करने का बड़ा महत्व है। इस तीर्थ का वर्णन ब्रह्मपुराण, पद्मपुराण आदि धर्म ग्रंथों में आता है। यह स्थान पैनगंगा नदी के तट पर है। मान्यता है कि सृष्टि के आरंभ में ब्रह्माजी के यज्ञ में प्रणीता पात्र (यज्ञ के दौरान उपयोग में आने वाला बर्तन) से इस नदी की उत्पत्ति हुई थी। यह नदी यहां पश्चिम वाहिनी होने के कारण और भी पुण्यपद मानी जाती है। यहां श्राद्ध करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। कहते हैं यहां पापियों को भी मुक्ति मिल जाती है।
यहां है भगवान विष्णु की प्राचीन मंदिर
नदी के तट पर भगवान विष्णु का एक प्राचीन मंदिर है। इसका सभामंडप विशाल और कलापूर्ण है। भगवान की मूर्ति लगभघ 11 फुट की शिला की बनी हुई है। भगवान के पास ही श्रीदेवी, भूदेवी और जय-विजय की मूर्तियां हैं। कला की दृष्टि से ये बड़ी सुंदर मूर्तियां हैं। यहां मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी से पूर्णिमा तक मेला लगता है।
कैसे पहुचें?
- मेघंकर (Meghankar) महाराष्ट्र (Maharashtra) के औद्योगिक शहर खामगांव से लगभग 75 किलोमीटर दूर है। खामगांव रेलवे स्टेशन से यहां के लिए आसानी से बसें मिल जाती हैं।
- खामगांव सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है। किसी भी राष्ट्रीय राजमार्ग से यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है और यहां से मेघंकर।
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