सार

सावन (Sawan 2022) में शिवजी की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। धर्म ग्रंथों में भी इस महीने का विशेष महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस महीने में सच्चे मन से शिवजी की भक्ति कर लेता है, उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है।

उज्जैन. इस बार सावन मास की शुरूआत 14 जुलाई से हो चुका है जो 11 अगस्त तक रहेगा। इस महीने में आने वाले सोमवार को भी बहुत खास माना जाता है। इस दिन भक्त भगवान महादेव को प्रसन्न करने के लिए व्रत-उपवास आदि रखते हैं। इस बार सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई ((Sawan 2022 first Somwar ) को है। इस दिन सावन सोमवारके व्रत की कथा भी जरूर सुननी चाहिए तभी इस दिन व्रत करने का पूरा फल मिलता है। आगे जानिए सावन सोमवार की व्रत कथा…

ये है सावन सोमवार की कथा (Sawan Somwar Ki Katha )
- एक कथा के अनुसार, किसी शहर में एक धनी व्यक्ति रहता था। उसके पास बहुत धन-संपत्ति थी, लेकिन संतान नहीं थी। संतान की इच्छा से वो प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव-पार्वती की पूजा करता था। प्रसन्न होकर शिवजी ने उसे संतान सुख का वरदान तो दे दिया और कहा कि तुम्हारा पुत्र अल्पायु होगा। 
- ये सब जानते हुए भी साहूकार ने 11 साल की उम्र में उस बालक को अपने मामा के साथ काशी शिक्षा प्राप्त करने भेज दिया। व्यापारी ने अपने पुत्र से कहा कि रास्ते में जहां भी विश्राम करो, वहां ब्राह्मणों को भोजन जरूर करवाना। दोनों ने धनी व्यक्ति की बात गांठ बांध ली और ऐसा ही किया।
- रास्ते में किसी नगर में राजा की पुत्री का विवाह होने वाला था, उसका होने वाला राजकुमार एक आंख से अंधा था। ये बात दूल्हे के पिता ने किसी को बताई नहीं थी। घबराकर उसने धनी व्यक्ति के पुत्र को अपने बेटे के स्थान पर राजकुमारी से विवाह करने के लिए राजी कर लिया।
- विवाह के बाद काशी जाने से पहले धनी के बेटे ने राजकुमारी के दुपट्टे पर लिखा कि तुम मुझसे शादी कर चुकी हो लेकिन जिस राजकुमार के साथ तुम्हें भेजा जाएगा वह एक काना है। राजकुमारी ने ये देखा तो दूसरे राजकुमार के साथ जाने से इंकार कर दिया। उधर धनी पुत्र मामा के साथ काशी पहुंच गया।
- धनी पुत्र जब 16 वर्ष का हुआ तो उसकी तबीयत खराब हो गई और कुछ दिनों में उसकी उसकी मृत्यु हो गई।संयोग से उसी समय शिव-पार्वती वहां से जा रहे थे। धनी पुत्र को देखकर देवी पार्वती बहुत दुखी हुई। माता पार्वती के आग्रह करने पर शिवजी ने उस धनी पुत्र को दोबारा जीवित कर दिया 
- शिक्षा समाप्त कर जब वह लड़का वापस लौट रहा था तो रास्ते में वही नगर पड़ा जहां उसका राजकुमारी से विवाह हुआ था। राजा ने उसे पहचान लिया और खूब सारा धन देकर राजकुमारी को उसके साथ विदा किया। बेटे को जीवित देख धनी बहुत प्रसन्न हुआ। रात में धनी व्यक्ति को सपने में आकर शिव ने कहा कि ये सब सोमवार व्रत करने का फल है। 


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