सार

धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को वैकुंठ चतुर्दशी (Vaikuntha Chaturdashi 2021) कहते हैं। इस बार ये तिथि 18 नवंबर, गुरुवार को है। इस तिथि से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं। ऐसा कहा जाता है कि देवप्रबोधिनी एकादशी पर भगवान विष्णु नींद से जागते हैं और वैंकुठ चतुर्दशी पर भगवान शिव उन्हें सृष्टि का भार सौंपकर कैलाश चले जाते हैं।

उज्जैन. वैकुंठ चतुर्दशी (Vaikuntha Chaturdashi 2021) पर भगवान विष्णु के साथ-साथ शिवजी की पूजा भी की जाती है। भगवान विष्णु ने नारदजी के पूछने पर बताया था कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को जो भी बैकुण्ठ चतुर्दशी व्रत का पालन करते हैं। उनके लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं। भगवान विष्णु कहते हैं कि इस दिन जो भी भक्त मेरा पूजन करता है। वह बैकुण्ठ धाम को प्राप्त करता है। धर्म ग्रंथों में हम कई स्थानों पर वैकुंठ के बारे में पढ़ते या सुनते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि वैकुंठ लोक आखिर है क्या और यहां कौन निवास करता है। आज हम आपको वैकुंठ से जुड़ी खास बाते बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

कहां है वैकुंठ?
वैकुंठ का शाब्दिक अर्थ है- जहां कुंठा न हो। कुंठा यानी निष्क्रियता, अकर्मण्यता, निराशा, हताशा और दरिद्रता। यानी वैकुण्ठ धाम ऐसा स्थान है जहां कर्महीनता नहीं है, निष्क्रियता नहीं है। कहते हैं कि मरने के बाद पुण्य कर्म करने वाले लोग स्वर्ग या वैकुंठ जाते हैं। वैकुंठ लोक के स्वामी भगवान विष्णु है। जब कोई व्यक्ति अपने जीवन में अच्छे कर्म करता रहता है और अंत समय में उसके मन में कोई इच्छा नहीं रह जाती तब उसकी आत्मा वैकुंठ लोक जाती है।

एक कथा ये भी
एक कथा के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु शिवजी तपस्या करने के बाद उन्हें 1000 कमल अर्पित कर रहे थे। शिवजी ने एक कमल गायब कर दिया तो विष्णुजी ने अपनी आंखें ही निकाल का अर्पित कर दी तब भगवान शिव ने कहा कि आज की यह कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी अब बैकुंठ चतुर्दशी कहलाएगी और इस दिन व्रतपूर्वक जो पहले आपका पूजन करेगा, उसे बैकुंठ लोक की प्राप्ति होगी।

धरती पर यहां है वैकुंठ
हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान श्रीविष्णु के धाम को वैकुंठ धाम कहा जाता है। आपने चार धामों के नाम तो सुने ही होंगे- बद्रीनाथ, द्वारिका, जगन्नाथ और रामेश्वरम्। इसमें से बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का धाम है। मान्यता के अनुसार इसे भी वैकुंठ कहा जाता है। यह जगतपालक भगवान विष्णु का वास होकर पुण्य, सुख और शांति का लोक है।

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