सार
Aja Ekadashi 2022: भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहते हैं। कहीं-कहीं इसे जया एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार यह व्रत 23 अगस्त, मंगलवार को किया जाएगा। धर्म ग्रंथों में इस एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है।
उज्जैन. इस बार अजा एकादशी (Aja Ekadashi 2022) तिथि 22 अगस्त, सोमवार को है, लेकिन इसका व्रत 23 अगस्त, मंगलवार को किया जाएगा क्योंकि मंगलवार को ये तिथि सूर्योदय से पहले और बाद तक रहेगी। ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार, जब भी ऐसा योग बनता है तो एकादशी व्रत द्वादशी तिथि के योग में ही करना श्रेष्ठ माना जाता है। श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार, अजा एकादशी पर भगवान विष्णु के उपेन्द्र रूप की पूजा की जाती है। आगे जानिए इस एकादशी से जुड़ी खास बातें…
अजा एकादशी का महत्व (Significance of Aja Ekadashi)
ज्योतिषाचार्य डॉ. तिवारी के अनुसार, इस व्रत की महिमा का वर्णन कई पुराणों में मिलता है। भगवान शिव ने स्वयं महर्षि नारद को उपदेश देते हुए कहा कि “अजा एकादशी महान पुण्य देने वाला व्रत है। श्रेष्ठ लोगों को ये व्रत जरूर करना चाहिए। इसी व्रत को करने से राजा हरिशचंद्र को अपना राज्य वापस मिल गया था और उनका मृतक पुत्र फिर से जीवित हो गया था। इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की पूजा करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप और दोष समाप्त हो जाते हैं।
शुभ फल पाने के लिए क्या करें इस दिन (What to do on Aja Ekadashi)
1. अजा एकादशी पर विष्णु जी के लिए व्रत-उपवास और विशेष पूजा की जाती है। पूजा के साथ ही कुछ अन्य काम करने की परंपरा भी है, जिससे शुभ फल मिलते हैं। इस दिन जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें।
2. अजा एकादशी पर मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें। ध्यान करें, भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। इन मंत्रों के जाप से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है। इस दिन गौसेवा करने का भी विशेष महत्व है।
3. अजा एकादशी पर जल्दी उठना चाहिए। फिर घर की साफ-सफाई के बाद पूरे घर में गौमूत्र का छिड़काव करें। उसके बाद शरीर पर तिल और मिट्टी का लेप लगा कर कुशा से स्नान करें। नहाने के पानी में गंगाजल जरूर मिलाएं। इस प्रकार स्नान करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
4. इस प्रकार स्नान करने के बाद भगवान विष्णु जी की पूजा करें। दिनभर नियम और संयम के साथ रहते हुए फलाहार करके दिन बिताएं। रात में जागरण करें और भगवान विष्णु के भजन-कीर्तिन में समय व्यतीत करें। इस तरह जो व्यक्ति अजा एकादशी के नियमों का पालन करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
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