सार

वैसाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान परशुराम (Parshuram Jayanti 2022) की जयंती मनाई जाती है। इस बार ये तिथि 3 मई, मंगलवार को है। इन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार कहा जाता है।

उज्जैन. रामायण (Ramayana) और महाभारत (Mahabharata) दोनों ग्रंथों में भगवान परशुराम का वर्णन मिलता है। इनका स्वभाव बहुत क्रोधी था। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इन्होंने 21 बार धरती से क्षत्रियों का अंत कर दिया था। इनसे जुड़ी और भी कई कथाएं हमारे धर्म ग्रंथों में मिलती है। इन्होंने भीष्म, कर्ण और द्रोणाचार्य को शस्त्र विद्या का ज्ञान दिया था। महाभारत के एक प्रसंग के अनुसार एक बार भीष्मऔर परशुराम में युद्ध भी हुआ था, लेकिन परशुराम अपने शिष्य को हरा नहीं पाए। आज परशुराम जयंती के मौके पर हम आपको इस प्रसंग के बारे में बता रहे हैं जो इस प्रकार है…

भीष्म को नहीं कर सके पराजित
- महाभारत के अनुसार, महाराज शांतनु के पुत्र देवव्रत यानी भीष्म ने भगवान परशुराम से ही अस्त्र-शस्त्र की विद्या प्राप्त की थी। एक बार भीष्म काशी में हो रहे स्वयंवर से काशीराज की पुत्रियों अंबा, अंबिका और बालिका को अपने छोटे भाई विचित्रवीर्य के लिए उठा लाए। 
- हस्तिनापुर पहुंचकर अंबा ने भीष्म को बताया कि वह राजा शाल्व के प्रेम करती है और उसे अपना पति मान चुकी है। तब भीष्म ने अंबा को राजा शाल्व के पास जाने दिया, लेकिन भीष्म द्वारा हरण कर लिए जाने के कारण शाल्व ने अंबा को अपनाने से इंकार कर दिया। तब अंबा अपने नाना के पास गई। वे परशुराम के मित्र थे। अंबा अपने नाना के साथ परशुराम के पास पहुंची और पूरी बात बताई।
- अंबा की बात सुनकर भगवान परशुराम ने भीष्म को बुलवाया और उससे विवाह करने के लिए कहा, लेकिन भीष्म ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। क्रोधित होकर परशुराम ने भीष्म को युद्ध के लिए ललकारा। ये युद्ध काफी दिनों तक चलता रहा लेकिन कोई निर्णय नहीं हुआ।
- तब भीष्म ने ऐसा अस्त्र का संधान किया, जिससे परशुराम बेहोश हो सकते थे। तभी देवताओं ने आकर भीष्म को रोक दिया और परशुराम से युद्ध समाप्त करने को कहा। पितृ देवताओं के कहने पर परशुराम ने ऐसा ही किया। इस प्रकार इस युद्ध में न किसी की हार हुई न किसी की जीत।

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