सार
इन दिनों शारदीय नवरात्रि का पर्व चल रहा है। इन 9 दिनों में माता की भक्ति की जाती है साथ ही उपवास भी रखे जाते हैं। इन 9 दिनों में लोग भोजन से जुड़े अलग-अलग नियमों का पालन करते हैं। बहुत से लोग नवरात्रि में लहसुन और प्याज न खाने की परंपरा का पालन करते हैं। इस परंपरा के पीछे वैज्ञानिक तथ्य भी छिपे हैं। आज हम आपको उन्हीं तथ्यों के बारे में बता रहे हैं
उज्जैन. इन 9 दिनों में लोग भोजन से जुड़े अलग-अलग नियमों का पालन करते हैं। कोई व्यक्ति एक ही समय भोजन करता है तो कोई बिना नमक का। कुछ लोग इन दिनों में नॉनवेज से दूर रहते हैं तो कुछ लहसुन-प्याज नहीं खाते। बहुत से लोग नवरात्रि में लहसुन और प्याज न खाने की परंपरा का पालन करते हैं। इस परंपरा के पीछे वैज्ञानिक तथ्य भी छिपे हैं। आज हम आपको उन्हीं तथ्यों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…
नवरात्र में लहसुन-प्याज न खाने का वैज्ञानिक कारण...
- शारदीय नवरात्र का पर्व आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर महीने में आता है। ये समय दो ऋतुओं शरद और शीत का संधिकाल होता है।
- विज्ञान भी ये बात मानता है कि ऋतुओं के इस संधिकाल के दौरान शरीर की इम्यूनिटी पॉवर में कमी आती है, जिससे कारण भोजन पचने में परेशानी आ सकती है।
- नवरात्रि के दिनों में जब सात्विक (बिना प्याज-लहसुन) भोजन किया जाता है तो वह आसानी से पच जाता है और शरीर का पाचन तंत्र ठीक रहता है।
- इसके विपरीत जब गरिष्ठ यानी हेवी खाना खाया जाता है तो उसे पचने में परेशानी होती है। प्याज-लहसुन भी गरिष्ठ भोजन की श्रेणी में आता है। इसे तामसिक भोजन भी कहा जाता है।
- नवरात्रि के 9 दिन माता की भक्ति और संयम रखने का समय है। इसके लिए आध्यात्मिक ऊर्जा की जरूरत होती है।
- नवरात्रि में प्याज और लहसुन खाने के शरीर में गर्मी बढ़ती है, जिससे मन में कई प्रकार की इच्छाओं का जन्म होता है और सुस्ती भी बढ़ती है। यही कारण है नवरात्रि के 9 दिनों में बहुत से लोग प्याज और लहसुन नहीं खाते।