सार
इस बार 9 अप्रैल, गुरुवार से वैशाख मास शुरू हो चुका है, जो 7 मई, गुरुवार तक रहेगा। हिंदू नववर्ष का यह दूसरा महीना है।
उज्जैन. इस महीने में भगवान विष्णु और शिव का पूजन, तीर्थ में स्नान, पितरों को तर्पण तथा फलों का दान करने का विशेष महत्व है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बावाला के अनुसार, वैशाख में विष्णु भगवान की पूजा और पीपल को सींचने का महत्व है। भगवान विष्णु की तुलसी पत्र से पूजा की जाती है। भगवान विष्णु को सुबह, दोपहर और शाम को राम व श्याम तुलसी चढ़ाने से पापों से मुक्ति मिलने की मान्यता है। इस महीने में तीर्थ स्नान के बाद पीपल को जल, कच्चा दूध व जल चढ़ाकर दीपक लगाने की शास्त्रोक्त परंपरा है।
शिवलिंग पर बांधी जाती है गलंतिका
वैशाख मास में शिवलिंग के ऊपर गलंतिका (एक मटकी जिसमें से बूंद-बूंद पानी टपकता रहता है) बांधी जाती है। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान शिव के गले में जो विष है, उसके कारण उनके शरीर की गर्मी बहुत बढ़ जाती है। इसी को शांत करने के लिए शिवलिंग पर गलंतिका बांधी जाती है।
ये हैं वैशाख मास के मुख्य व्रत, त्योहार
11 अप्रैल- गणेश चतुर्थी व्रत
18 अप्रैल- वरुथिनी एकादशी, वल्लभाचार्य जयंती
20 अप्रैल- सोम प्रदोष व्रत
23 अप्रैल- वैशाख अमावस्या
26 अप्रैल- अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती
27 अप्रैल- विनायकी चतुर्थी
28 अप्रैल- शंकराचार्य जयंती
29 अप्रैल- रामानुजाचार्य जयंती
30 अप्रैल- गंगा सप्तमी
2 मई- सीता नवमी
3 मई- मोहिनी एकादशी
5 मई – मंगल प्रदोष
6 मई- नृसिंह जयंती
7 मई- बुद्ध जयंती, कूर्म जयंती, वैशाख पूर्णिमा