हिंदू कैलेंडर का चौथा महीना आषाढ़ 25 जून से शुरू हो चुका है। इस महीने का धर्म ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है, साथ ही आयुर्वेद में भी इस महीने से संबंधित कुछ विशेष नियम बताए गए हैं।
उज्जैन. इस मास में खाने-पीने से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यकता होता है, नहीं तो बीमार होने का खतरा बना रहता है। आगे जानिए इस महीन में खाने-पीने से जुड़ी किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और क्यों…
- आषाढ़ मास दो ऋतुओं का संधिकाल होता है। ये 2 ऋतुएं हैं ग्रीष्म और वर्षा। ये समय बीमारियों को जन्म देने वाला होता है क्योंकि जब बारिश का जल पेयजल स्त्रोतों में मिलता है तो वह दूषित हो जाता है।
- आयुर्वेद के अनुसार, ये पानी पीने से पेट से संबंधित बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। इसी समय हैजा व अन्य जानलेवा बीमारियां का प्रकोप बढ़ जाता है। इसलिए इस समय उबला हुआ पानी पीना चाहिए।
- आयुर्वेद में कहा गया है कि इस ऋतु में गेहूं, मूंग, दही, अंजीर, छाछ, खजूर आदि का सेवन करना लाभदायक होता है। इससे पेट से संबंधित रोग होने की संभावना बहुत कम रहती है।
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दौरान सूर्य मिथुन राशि में रहता है इस वजह से रोगों का संक्रमण ज्यादा बढ़ता है। बारिश का पानी ग्रीष्म ऋतु से प्रभावित जमीन पर पड़ता है, जिससे दूषित भाप बनती है। जिससे बीमारियां फैलती हैं।
- सूर्य कर्क राशि में 21 जून को आ गया था। उस दिन से दक्षिणायन के साथ वर्षा ऋतु भी शुरू हो गई है। 22 अगस्त तक वर्षा ऋतु रहेगी। इस दौरान जल से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए पानी उबालकर पीएं।
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