सार

स्कंद पुराण के अनुसार, आषाढ़ महीने में भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि इस महीने के देवता भगवान वामन ही हैं। इसलिए आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि पर भगवान वामन की विशेष पूजा और व्रत की परंपरा है।

उज्जैन. वामन पुराण के मुताबिक आषाढ़ महीने के दौरान भगवान विष्णु के इस अवतार की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। संतान सुख मिलता है, जाने-अनजाने में हुए पाप और शारीरिक परेशानियां भी खत्म हो जाती हैं।

गुरुवार को करें विशेष पूजा और व्रत
- ग्रंथों में आषाढ़ महीने के गुरुवार को भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
- इस दिन व्रत और पूजा के बाद छोटे बच्चे को भगवान वामन का रूप मानकर भोजन करवाया जाता है और जरूरत की चीजों का दान भी किया जाता है।
- साथ ही इस महीने की दोनों एकादशी तिथियों पर भगवान वामन की पूजा के बाद अन्न और जल का दान किया जाता है।

ये है वामन अवतार की कथा
- सतयुग में असुर बलि ने देवताओं को पराजित करके स्वर्गलोक पर अधिकार कर लिया था। इसके बाद सभी देवता भगवान विष्णु के मदद मांगने पहुंचे।
- तब विष्णुजी ने वामन रूप में अवतार लिया। एक दिन जब राजा बलि यज्ञ कर रहा था, तब वामनदेव बलि के पास गए और तीन पग धरती दान में मांगी।
- शुक्राचार्य के मना करने के बाद भी राजा बलि ने वामनदेव को तीन पग धरती दान में देने का वचन दे दिया।
- इसके बाद वामनदेव ने विशाल रूप धारण किया और एक पग में धरती और दूसरे पग में स्वर्गलोक नाप लिया।
- तीसरा पैर रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा तो बलि ने वामन को खुद के सिर पर पग रखने को कहा।
- वामनदेव ने जैसे ही बलि के सिर पर पैर रखा, वह पाताल लोक पहुंच गया। बलि की दानवीरता से प्रसन्न होकर भगवान ने उसे पाताललोक का स्वामी बना दिया।

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