चाणक्य नीति: मनुष्य का 1 दुर्गुण बढ़ा सकता है उसकी मुश्किलें और बिगाड़ सकता है बनते काम

चाणक्य नीति के तेरहवें अध्याय के पंद्रहवें श्लोक में इंसान की एक ऐसी आदत के बारे में बताया है जिसकी वजह से बनते काम बिगड़ जाते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Apr 29, 2021 3:43 AM IST

उज्जैन. चाणक्य नीति के इस श्लोक में बताया है कि हर इंसान को अपने मन पर नियंत्रण रखना चाहिए। ऐसा नहीं करने से कई तरह की मुश्किलें बढ़ जाती हैं और कामकाज में भी मन नहीं लगता।

श्लोक
अनवस्थितकायस्य न जने न वने सुखम्।
जनो दहति संसर्गाद् वनं संगविवर्जनात।।15।।

लाइफ मैनेजमेंट
- आचार्य चाणक्य चंचलता के दुःख की चर्चा करते हुए कहते हैं जिसका चित्त स्थिर नहीं होता, उस व्यक्ति को न तो लोगों के बीच में सुख मिलता है और न वन में ही।
- लोगों के बीच में रहने पर उनका साथ जलाता है तथा वन में अकेलापन जलाता है। आशय यह है कि किसी भी काम को करते समय मन को स्थिर रखना चाहिए।
- मन के चंचल होने पर व्यक्ति न तो कोई काम ही ठीक से कर सकता है, न उसे कहीं पर भी सुख ही मिल सकता है।
- ऐसा व्यक्ति समाज में रहता है, तो अपने निकम्मेपन और दूसरे लोगों को फलता-फूलता देखकर इसे सहन नहीं कर सकता।
- यदि ऐसा व्यक्ति वन में भी चला जाए तो वहां अकेलापन उसे काटने दौड़ता है। इस प्रकार वह कहीं भी सुखी नहीं रह सकता। चित्त की चंचलता दुख देती है।

चाणक्य नीति के बारे में ये भी पढ़ें

सुखी और समस्या रहित जीवन के लिए हमेशा ध्यान रखें आचार्य चाणक्य के ये 10 सूत्र

चाणक्य नीति: किसी भी व्यक्ति को परखने के लिए इन 4 बातों का ध्यान रखना चाहिए

चाणक्य नीति: जानिए मनुष्य का सबसे बड़ा अवगुण, पाप, धन और आभूषण कौन-सा है

चाणक्य नीति: किस व्यक्ति के लिए कोई स्थान दूर नहीं और किसका कोई शत्रु नहीं होता?

चाणक्य नीति: सुंदरता, विद्या और धन किन परिस्थितियों में व्यर्थ माने जाते हैं?

चाणक्य नीति: पिता के अलावा इन 4 को भी उन्हीं के समान ही आदर और सम्मान देना चाहिए

चाणक्य नीति: जानिए हमें, शेर, बगुले, गधे, मुर्गे, कौए और कुत्ते से क्या सीखना चाहिए?

चाणक्य नीति: कैसे लोग हमेशा गरीब नहीं रहते और किन लोगों का कभी विवाद नहीं होता?

चाणक्य नीति: झगड़ालू पत्नी, मूर्ख पुत्र और विधवा पुत्री सहित ये 6 दुख अग्नि के समान जलाते हैं

चाणक्य नीति: जानिए सबसे बड़ा तप, सुख, रोग और धर्म कौन-सा है?

Share this article
click me!