भगवान श्रीगणेश के स्वरूप में छिपे हैं अध्यात्म और जीवन प्रबंधन के गहरे सूत्र, आप भी जानिए

श्रीगणेश बुद्धि के देवता हैं, इसीलिए श्रीगणेश प्रथम पूज्य है यानी हर शुभ कार्य में गणेशजी की पूजा सबसे पहले की जाती है।

Manish Meharele | Published : Aug 30, 2020 3:42 AM IST

उज्जैन. भगवान श्रीगणेश के स्वरूप में अध्यात्म और जीवन के गहरे रहस्य छुपे हैं। जिनसे हम जीवन प्रबंधन के सफल सूत्र हासिल कर सकते हैं। ये सूत्र इस प्रकार हैं-

1. भगवान गणेश गजमुख है जिस पर हाथी जैसे कान सूप जैसे हैं। जिनका मतलब है कि बातें सबकी सुनो, लेकिन उनका सार ही ग्रहण करो। ठीक उसी तरह जिस तरह सूप छिलके बाहर फेंककर सिर्फ अन्न को ही अपने पास रखता है।
2. इसी तरह श्री गणेश की छोटी आंखें मानव को जीवन में सूक्ष्म दृष्टि रखने की प्रेरणा देती हैं।
3. उनकी बड़ी नाक (सूंड) दूर तक सूंघने में समर्थ है, जो उनकी दूरदर्शिता को बताती है जिसका अर्थ है कि उन्हें हर बात का ज्ञान है।
4. श्री गणेश के दो दांत हैं एक पूर्ण व दूसरा अपूर्ण। पूर्ण दांत श्रद्धा का प्रतीक है तथा टूटा हुआ दांत बुद्धि का। वह मनुष्य को यह प्रेरणा देते हैं कि जीवन में बुद्धि कम होगी तो चलेगा, लेकिन ईश्वर के प्रति पूरा विश्वास रखना चाहिए।
5. भगवान गणेश का बड़ा पेट यह बताता है कि पेट गागर की तरह छोटा नहीं अपितु सागर की तरह विशाल होना चाहिए, जिसमें अच्छी-बुरी सभी बातों को शामिल करने की शक्ति हो।
6. श्री गणेश के छोटे पैर यह शिक्षा देते हैं कि मनुष्य को उतावला नहीं होना चाहिए। सभी कार्य धैर्यपूर्वक करना चाहिए।
7. भगवान गणेश के आस-पास ऋद्धि और सिद्धि के दर्शन होते हैं। यह इस बात का संदेश है कि जो जीवन में बुद्धि का सदुपयोग करता है, वह सुख और शांति को पाता है।

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