भगवान ब्रह्मा के वंश में हुआ था रावण का जन्म, युद्ध में यमराज को भी हटना पड़ा पीछे

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा (Dussehra 2021) पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 15 अक्टूबर, शुक्रवार को है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, त्रेतायुग में इसी दिन भगवान श्रीराम (Lord Ram) ने रावण (Ravan) का वध किया था। रावण से जुड़ी कई कहानियां हमें सुनने को मिलती हैं। वर्तमान समय में रावण के पुतले का दहन अधर्म के रूप में किया जाता है। धर्म ग्रंथों में रावण से जुड़ी कई रोचक बातें बताई गई हैं। इनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Oct 11, 2021 2:10 PM IST

उज्जैन. रावण से जुड़ी कई कहानियां हमें सुनने को मिलती हैं। वर्तमान समय में रावण के पुतले का दहन अधर्म के रूप में किया जाता है। धर्म ग्रंथों में रावण से जुड़ी कई रोचक बातें बताई गई हैं। इनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। दशहरे के मौके पर हम आपको रावण से जुड़ी ऐसी ही कुछ खास बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

ब्रह्मा का वंशज था रावण (Ravan)
रावण के बारे ये बात प्रसिद्ध है कि वह राक्षसों का राजा था यानी राक्षसकुल का था, लेकिन वाल्मीकि रामायण के अनुसार, रावण ब्रह्मा का वंशज था। ब्रह्मा के मानस पुत्र पुलस्त्य ऋषि थे। उनके पुत्र हुए विश्रवा। विश्रवा का विवाह राक्षसकुल की कन्या कैकसी से हुआ था। उन्हीं से रावण, कुंभकर्ण और विभिषण का जन्म हुआ।

धनराज कुबेर से छिनी थी लंका
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, रावण (Ravan) जिस सोने की लंका में रहता था, उस लंका में पहले धनराज कुबेर रहते थे। जब रावण ने विश्व विजय पर निकला तो उसने कुबेर को हराकर सोने की लंका तथा पुष्पक विमान पर अपना कब्जा कर लिया। कुबेर देवता रावण के ही सौतेले भाई हैं।

यमराज को भी हटना पड़ा था पीछे
रावण (Ravan) जब विश्व विजय पर निकला तो वह यमलोक भी जा पहुंचा। वहां यमराज और रावण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। जब यमराज ने रावण के प्राण लेने के लिए कालदण्ड का प्रयोग करना चाहा तो ब्रह्मा ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया क्योंकि किसी देवता द्वारा रावण का वध संभव नहीं था।

महान संगीतज्ञ और ज्योतिष का जानकार था रावण
धर्म ग्रंथों के अनुसार, रावण (Ravan) संगीतप्रेमी था। उसी ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवतांडव स्त्रोत की रचना की। इसके अलावा उसे कई वाद्ययंत्र बजाने में भी महारथ हासिल थी। रावण ज्योतिष विद्या और तंत्र-मंत्र का जानकार भी था। रावण संहिता ग्रंथ में इससे संबंधित कई बातें पढ़ने को मिलती हैं।
 

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